सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कठुआ गैंग रेप मामले में जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया है. बार एसोसिएशन ने अपने हलफनामा में पीड़िता के वकील पर अन्य वकीलों द्वारा हमला करने और धमकाने से किया इंकार किया है. एसोसिएशन ने सभी आरोपों को निराधार और गलत बताया है.
एसोसिएशन ने साथ ही पूरे मामले में मीडिया की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि उन्हें गलत तरीके से रेप करने वाले आरोपियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले के रूप में दिखाया गया. इस मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.
इससे पहले सुनवाई में जम्मू हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के संबंध में वकीलों के विरोध का उसने समर्थन नहीं किया था. बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ से कहा था कि उसने हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक दल गठित किया है जो कठुआ जाकर वकीलों के विरोध से संबंधित स्थिति का आकलन करेगा.
वहीं कठुआ जिला बार एसोसिएशन ने पीठ से कहा था कि उसने पहले ही 12 अप्रैल को अपनी हड़ताल वापस ले ली है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शोएब आलम ने पीड़ित के पिता की याचिका को वकीलों के विरोध का स्वत: संज्ञान लेने से संबंधित मामले के साथ सलंग्न करने का विरोध किया था. पीड़िता के पिता ने इस मामले को कठुआ से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुये याचिका दायर की है.
एसोसिएशन ने साथ ही पूरे मामले में मीडिया की भूमिका पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा है कि उन्हें गलत तरीके से रेप करने वाले आरोपियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले के रूप में दिखाया गया. इस मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.
इससे पहले सुनवाई में जम्मू हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि कठुआ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के संबंध में वकीलों के विरोध का उसने समर्थन नहीं किया था. बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ से कहा था कि उसने हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक दल गठित किया है जो कठुआ जाकर वकीलों के विरोध से संबंधित स्थिति का आकलन करेगा.
वहीं कठुआ जिला बार एसोसिएशन ने पीठ से कहा था कि उसने पहले ही 12 अप्रैल को अपनी हड़ताल वापस ले ली है. राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता शोएब आलम ने पीड़ित के पिता की याचिका को वकीलों के विरोध का स्वत: संज्ञान लेने से संबंधित मामले के साथ सलंग्न करने का विरोध किया था. पीड़िता के पिता ने इस मामले को कठुआ से चंडीगढ़ स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हुये याचिका दायर की है.
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