जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय एक बच्ची से बलात्कार और फिर उसकी हत्या के मामले में पठानकोट की एक विशेष अदालत ने सोमवार को छह लोगों को दोषी करार दिया. इस केस की जांच करने वाले पूर्व अधिकारी आरके जल्ला कहते हैं कि ये जांच उनके लिए तब तक खोई हुई सुई ढूंढने जैसा था जब तक उन्होंने मुख्य दोषी सांझीराम के चहरे पर जनवरी की उस ठंडी सुबह में पसीना नहीं देख लिया था. जल्ला बताते हैं, 'घटना स्थल की जांच के बाद हम सांझी राम के घर पहुंचे. जहां मैंने और मेरी टीम ने उससे (सांझीराम) परिवार के लोगों और गिरफ्तार किए गए उसके नाबालिग भतीजे के बारे में पूछताछ शुरू कर दी. मैंने उसके बेटे विशाल के बारे में पूछा. इस पर सांझीराम ने घबराते हुए तुरंत मुझसे कहा कि उसका बेटा मेरठ में पढ़ रहा है और मैं जाकर उसका कॉल रिकॉर्ड चैक कर सकता हूं.'
जल्ला ने बताया कि इसके बाद दो वजहों से उन्हें शक हुआ. पहला कि वह विशाल के कॉल रिकॉर्ड चैक करने के लिए क्यों कह रहा था, दूसरा उसे जनवरी की उस ठंडी सुबह में भी पसीना आ रहा था.
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कठुआ केस की जांच 27 जनवरी 2018 को क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी. इस केस की जांच जल्ला ही कर रहे थे, जो करीब तीन महीने पहले ही रिटायर्ड हुए हैं.
पठानकोट की विशेष अदालत ने सोमवार को सांझी राम, दीपक खजुरिया और परवेश कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है, जबकि तीन बर्खास्त किए गए पुलिसकर्मी आनंद दत्ता, तिलक राज और सुरिंदर सिंह को पांच साल जेल में रहने की सजा दी गई है. सांझी राम के बेटे विशाल को कोर्ट ने बरी कर दिया है.
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अब जल्ला को सिर्फ इस बात का अफसोस है कि विशाल को शक होने का लाभ हुआ है और इस वजह से उसे बरी कर दिया गया. उन्होंने कहा "मैं केवल यह उम्मीद कर सकता हूं कि बरी को चुनौती देते हुए अपील दायर की जाए." जल्ला का कहना है कि सांजी राम ने अपने बेटे को इस मामले से बचाने का हर संभव प्रयास किया है.
हालांकि राज्य पुलिस अपराध शाखा के महानिरीक्षक ए. मुज्तबा ने मंगलवार को कहा है कि जरुरत पड़ने पर पुलिस बरी किए गए सातवें आरोपी के खिलाफ अपील करेगी. मुज्तबा ने कहा, ‘‘एक बार हम उसका अध्ययन कर लें, जरूरत पड़ने पर हम इसे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे.''
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पूर्व अधिकारी जल्ला ने कहा इस केस की वजह से पीडीपी और बीजेपी के बीच तनाव देखा गया लेकिन उन्हें किसी भी बीजेपी नेता का फोन नहीं आया. उन्होंने कहा ''मेरे या मेरी टीम पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं था और हम पूरी लगन और ईमानदारी के साथ अपना काम कर रहे थे. ''
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बता दें जल्ला पुलिस अधिकारियों के पहले बैच का हिस्सा थे जिन्हें 1990 के दशक की शुरुआत में गठित एक आतंकवाद-विरोधी बल के विशेष समूह में शामिल किया गया था. वह इस साल 31 मार्च को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (क्राइम ब्रांच) के पद से रिटायर हुए हैं.
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