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This Article is From Jul 25, 2019

क्या कर्नाटक में लग सकता है राष्ट्रपति शासन? BJP बागी विधायकों पर स्पीकर के फैसले का कर रही इंतजार

कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार द्वारा कांग्रेस-जेडीएस के 15 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला होने तक राष्ट्रपति शासन लग सकता है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी अनिश्चितता के बीच सरकार बनाने के लिए दावा करने की जल्दी में नहीं है.

क्या कर्नाटक में लग सकता है राष्ट्रपति शासन? BJP बागी विधायकों पर स्पीकर के फैसले का कर रही इंतजार
अगर बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं, तो वे औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल हो सकते हैं.
बेंगलुरु :

कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार द्वारा कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला होने तक राष्ट्रपति शासन लग सकता है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) भी अनिश्चितता के बीच सरकार बनाने के लिए दावा करने की जल्दी में नहीं है. पार्टी के एक अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. भाजपा के राज्य प्रवक्ता जी.मधुसूदन ने कहा, 'अगर विधानसभा अध्यक्ष बागी विधायकों के इस्तीफे को स्वीकार करने या खारिज करने में ज्यादा समय लेते हैं तो राज्यपाल (वजुभाई वाला) राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं, क्योंकि इस तरह की स्थिति में हम सरकार बनाने के लिए दावा करना पसंद नहीं करेंगे.'

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पार्टी विधानसभा अध्यक्ष के अयोग्य करार देने के फैसले को लेकर अस्पष्ट है. कांग्रेस व जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) ने व्हिप की उपेक्षा को लेकर बागी विधायकों को अयोग्य करार देने की सिफारिश की है. सर्वोच्च न्यायालय ने 17 जुलाई के आदेश में कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष दल-बदल विरोधी कानून के अनुसार बागियों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन बागियों ने विधानसभा में मतदान में भाग नहीं लिया. तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यह भी कहा कि बागियों को सदन में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, जब उनके इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष 11 जुलाई से लंबित हैं.

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न्यायालय के 10 जुलाई के निर्देश पर उन्होंने (बागियों) ने फिर से विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा सौंपा था. विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस्तीफों पर फैसला लेने में ज्यादा समय लेने पर बागी विधायकों के शीर्ष अदालत से इसमें दखल के लिए संपर्क किए जाने की संभावना है. बागी विधायकों की अदालत के समक्ष 10 जुलाई की याचिका में विधानसभा अध्यक्ष को तत्काल इस्तीफा स्वीकार करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

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उन्होंने कहा, 'इस्तीफों के स्वीकार किए जाने तक विधानसभा का संख्या बल 225 बना रहेगा, इसमें एक नामित सदस्य भी शामिल हैं, जैसा की बागी भी अभी सदस्य हैं, इस तरह से साधारण बहुमत के लिए 113 संख्या जरूरी है. दो निर्दलियों के समर्थन से हमारी संख्या 107 है, जो बहुमत से 6 कम हैं.' अगर विधानसभा अध्यक्ष इस्तीफा स्वीकार कर लेते हैं या सदस्यों को अयोग्य करार देते हैं तो विधानसभा का संख्या बल घटकर 210 हो जाएगा और आधी संख्या 106 हो जाएगी, जिससे भाजपा दो निर्दलीयों के सहयोग से जीतने में सक्षम होगी.

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मधुसूदन ने कहा, 'अगर विधानसभा अध्यक्ष व शीर्ष अदालत को फैसले में समय लगता है तो राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं और विधानसभा को निलंबित रख सकते हैं, तब हम दावा करने की स्थिति में हो सकते हैं और अपने बहुमत पर सरकार बना सकते हैं.' अगर बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार किया जाता है या वे अयोग्य करार दिए जाते हैं तो 15 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में छह महीने के भीतर चुनाव कराए जाएंगे. 

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(इनपुट: IANS)

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