नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने मंगलवार को संकेत दिया कि वह 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से कराने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वामपंथी सहित अन्य विपक्षी दलों की मांग स्वीकार कर सकती है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में यह संकेत दिया। मुखर्जी ने बैठक में शामिल हुए नेताओं से कहा कि संसद चले, सरकार के लिए इससे प्रिय कुछ भी नहीं है। बहरहाल, आज की बैठक से कुछ ठोस निकलकर नहीं आया लेकिन संतोष की बात यह रही कि सरकार के रवैये में थोड़ी नरमी जरूर दिखी। बैठक में शामिल हुए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के बयानों से ऐसे संकेत मिले हैं कि सरकार ने जेपीसी जांच की मांग को लेकर अपने रुख में थोड़ी नरमी दिखाई है। सभी दलों ने एक सुर में संसद सत्र हर हाल में चलने पर सहमति जताई है। बैठक के बाद संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा, "हमें उम्मीद है कि सरकार जेपीसी पर कोई निर्णय लेगी और उसके गठन को हरी झंडी देगी तथा संसद में कार्यवाही चल सकेगी।" उन्होंने कहा कि सरकार भी चाह रही है कि सदन में कार्यवाही हो। "स्वाभाविक तौर पर इससे हम यही समझते हैं कि वह जेपीसी की मांग स्वीकार कर लेगी।" सरकार इस बात को जानती है कि सदन चलाने के लिए विपक्ष जेपीसी मांग चाहता है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा, "विपक्ष एक सुर में बोल रहा है और जेपीसी की हमारी मांग में कोई बदलाव नहीं आया है।" जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, "बैठक में शामिल हुए सभी दलों ने जेपीसी की मांग पर जोर दिया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि संसद सत्र भी चलना चाहिए। सरकार का रुख भी इस दौरान सकारात्मक रहा।" मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने कहा, "हम चाहते हैं कि संसद में कार्यवाही हो लेकिन साथ ही 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच जेपीसी से कराई जाए।" भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, "बैठक अच्छी रही। हमें उम्मीद है कि सरकार विपक्ष की जेपीसी मांग पर सहमत हो जाएगी।"
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