
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को मात्र घोषणा करने वाले मुख्यमंत्री बताते हुए कहा कि इस मामले में उन्होंने अपने पूर्ववर्ती नीतीश कुमार को पीछे छोड़ दिया है।
उन्होंने कहा कि ऐसी घोषणाओं से वे जनता को धोखा दे रहे हैं। सुशील मोदी ने रविवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मांझी 250 दिनों के अब तक के अपने कार्यकाल के दौरान एक हजार से ज्यादा घोषणाएं कर चुके हैं, जबकि उन्हें लागू करने के लिए बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उनके पास मात्र 200 दिन बचे हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि मांझी ने घोषणा की थी कि अनुसूचित जातियों जनजातियों के लोगों को ठेके में आरक्षण मिलेगा और इसी समाज के 43,000 लोगों को गांवों में 'सफाई मित्र' के रूप में तैनात किया जाएगा। साथ ही मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत हर प्रखंड के पांच गांवों को विकसित किया जाएगा और आठवीं कक्षा की छात्राओं को भी साइकिल दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गया, पूर्णिया और भागलपुर में हाईकोर्ट की पीठ स्थापित करने जैसी घोषणाएं भी कर डाली हैं, लेकिन इन्हें लागू करने में वे सक्षम नहीं हैं। बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि गत 20 जनवरी को मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पटना के नगर आयुक्त कुलदीप नारायण की निलंबन वापसी की संचिका पर दस्तखत किए थे, लेकिन यह आदेश लागू नहीं हो सका।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सभी स्कूली छात्रों को छात्रवृत्ति और साइकिल एवं पोशाक योजना का लाभ देने के लिए 75 फीसदी हाजिरी की अनिवार्यता समाप्त करने की घोषणा की थी, लेकिन वित्त मंत्री और शिक्षा मंत्री ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
सुशील ने आरोप लगाया कि अपने आदेशों और घोषणाओं का हश्र देखने के बावजूद मांझी ताबड़तोड़ घोषणाएं कर अपना ही नहीं, बिहार को भी मजाक का पात्र बना रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश के हर जिले में सैकड़ों जगह पर प्रदर्शन, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हो रही हैं, बिहार सुलग रहा है, लेकिन सत्तारूढ़ दल के नेता खींचतान और भोज की राजनीति में मशगूल हैं।
सुशील मोदी ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में अपने मिशन '185 प्लस' के लक्ष्य के साथ प्रदेश को इस विषम परिस्थिति से उबार कर सक्षम सरकार देने के लिए प्रतिबद्ध है।
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