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This Article is From May 23, 2015

मांझी ने ठुकराया लालू का प्रस्ताव, तो क्या वह थाम सकते हैं 'बीजेपी का हाथ'?

मांझी ने ठुकराया लालू का प्रस्ताव, तो क्या वह थाम सकते हैं 'बीजेपी का हाथ'?
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की फाइल फोटो
पटना: बीजेपी से मुकाबला करने के लिए महागठबंधन में शामिल होने के राजद प्रमुख लालू प्रसाद के आमंत्रण को जाहिर तौर पर अस्वीकार करते हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए शुक्रवार को समय मांगा।

मांझी ने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 25 मई से 28 मई के बीच मिलने के लिए समय मांगा है, उस दौरान मैं दिल्ली में रहूंगा।' मांझी द्वारा प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगना संकेत है कि उन्होंने भाजपा के खिलाफ मोर्चा में शामिल होने के लालू प्रसाद के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है।

मांझी ने स्पष्ट किया कि वह ऐसे किसी मोर्चा या समूह में शामिल नहीं होंगे, जिसमें नीतीश कुमार पक्ष होंगे।

मांझी का यह कदम महत्वपूर्ण है, क्योंकि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद सहित कुछ बीजेपी नेताओं ने संकेत दिया है कि पूर्व मुख्यमंत्री उनके साथ आ सकते हैं।

मांझी ने हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) का गठन किया है और बीजेपी की ओर उन्होंने झुकाव प्रदर्शित किया है।

प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के एजेंडा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कई मुद्दे शामिल हैं। इनमें बिहार की राजनीतिक स्थिति, राज्य में कृषि संकट जिसके फलस्वरूप किसानों की आत्महत्या भी शामिल हैं।

मांझी ने इससे पहले भी दो बार प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी।

सूत्रों ने कहा कि लालू प्रसाद ने राजद और जदयू के बीच विलय पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय बीजेपी के खिलाफ एक ‘महागठबंधन’ की बात की, जिसमें वाम दलों सहित सभी गैर-एनडीए दल शामिल हों। सूत्रों के मुताबिक, लालू विलय को लेकर इच्छुक नहीं हैं और चाहते कि बिहार में दोनों दल गठबंधन सहयोगी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे और चुनाव लड़ने के लिए उनकी पार्टी को टिकटों में ज्यादा हिस्सेदारी मिले।

लालू नीतीश कुमार को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने को भी इच्छुक नजर नहीं आ रहे हैं। दूसरी ओर जेडीयू चाहती है कि लालू नीतीश कुमार को विलय के बाद बनने वाली इकाई के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में समर्थन करें।

जनता परिवार के छह दलों, समाजवादी पार्टी, जेडीयू, जेडी(एस), आरजेडी, इनेलो और समाजवादी जनता पार्टी ने 15 अप्रैल को अपने विलय की घोषणा की थी और सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव को नए दल का प्रमुख घोषित किया गया था।

लेकिन ऐसे संकेत आ रहे हैं कि सपा और आरजेडी इस पर दोबारा गौर करना चाहते हैं। समाजवादी पार्टी का मानना है कि इस तरह के विलय का उसे कोई बहुत लाभ नहीं होगा, जबकि लालू प्रसाद को आशंका है कि बिहार में नीतीश कुमार को उनके मुकाबले ज्यादा फायदा हो सकता है, बावजूद इसके कि उनकी पार्टी आरजेडी का समर्थन आधार जेडीयू से ज्यादा बड़ा है।

हालांकि औपचारिक रूप से लालू प्रसाद ने कहा कि एकता का प्रयास जारी है और उन्होंने उन खबरों को खारिज किया कि हाल के घटनाक्रम को लेकर नीतीश कुमार अप्रसन्न हैं। लालू ने कहा, 'मेरा किसी के साथ कोई मतभेद नहीं है।'

जनता परिवार के विलय के मार्ग में बाधाओं को दूर करने के प्रयास के तहत होने वाली इस बैठक से एक दिन पहले आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने गुरुवार को कहा था कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को बीजेपी के खिलाफ ‘व्यापक एकता’ का हिस्सा होना चाहिए।

नीतीश कुमार के विरोधी समझे जाने वाले मांझी ने मुख्यमंत्री पद से अपदस्थ होने के बाद हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा बनाया है।

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