
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को कई अहम फ़ैसलों के बीच ई सिगरेट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का फ़ैसला किया है. इसको अध्यादेश के ज़रिए लागू करने की तैयारी है. इस फ़ैसले के पीछे अमेरिका के युवाओं में इसकी बढ़ती लत का हवाला दिया गया है, जहां अब तक ई सिगरेट से सात मौतों की बात कही जा रही है.
"कैबिनेट ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है", देश में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का ऐलान कर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सबको चौंका दिया. बुधवार को एक अध्यादेश के ज़रिए इसे लागू किया जाना है. इस फ़ैसले के तहत न तो ई सिगरेट बनाई जाएगी, न बेची जाएगी और न ही उसका प्रचार होगा. ई सिगरेट का कारोबार करने वाले को पहली बार एक साल की सज़ा और एक लाख का जुर्माना हो सकता है. दूसरी बार पकड़े जाने पर 3 साल तक की सज़ा और 5 साल तक की जेल हो सकती है. ई सिगरेट रखने पर भी 6 महीने की जेल और 50,000 तक का जुर्माना संभव हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि "अमेरिकी में सात लोगों की मौत ई-सिरगेट की वजह से हुई है. वहां इसका इस्तेमाल बहुत तेज़ी से बढ़ता जा रहा है."
सरकार ने अमेरिका में की गई रिसर्च का हवाला देकर इसे सेहत के लिए खतरनाक बताया है. ई सिगरेट की शुरुआत आम सिगरेट की लत छुड़ाने के लिए हुई थी. इसमें लिक्विड निकोटिन होती है जो गर्म करने पर एरोसोल में बदल जाती है. यह बैटरी से इस्तेमाल होती है.लेकिन विकसित देशों में खासकर युवाओं और बच्चों में ये नई महामारी में बदलती दिख रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट से पारंपरिक सिगरेट जैसा ही नुक़सान होता है.
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