नई दिल्ली:
एनडीटीवी 'यूथ फॉर चेंज' कार्यक्रम के चौथे सत्र 'और सुबह होकर रही' में शरीक हुए ऐडगुरु और गीतकार प्रसून जोशी का कहना है कि महिलाओं की स्थिति पर चिंता करने की हमें आज भी जरूरत पड़ रही है, यह शर्मनाक है.
एक महिला इस समाज से कितनी उम्मीद कर सकती है? इस सवाल पर प्रसून कहते हैं कि एक महिला का संघर्ष तो गर्भ से ही शुरू हो जाता है. ऐसा डर रहता है कि कहीं गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या न कर दी जाए. समाज में अभी भी महिलाओं पर नौकरी के बाद घर की भी जिम्मेदारी रहती है. समाज में बेटी और बहू घर के भीतर रह जाती हैं, उनके लिए दरवाजा खोलने की जरूरत है.
प्रसून जोशी साथ ही सवाल करते हैं कि महिला जब मां बनती है तो ही बच्चे की सारी जिम्मेदारी उस पर डाल दी जाती है. पुरुष क्यों इसमें आगे नहीं आते, क्यों पुरुषों को छुट्टी नहीं दी जाती और कहा जाता कि वे बच्चे की देखभाल करे. बच्चे की इच्छा तो दोनों की थी.
वहीं लैंगिक भेदभाव को लेकर अभिनेत्री सोनम कपूर बताती हैं, 'मेरे पिता कट्टर नारीवादी हैं. मुझे अपने भाई की तुलना में किसी भी तरह अलग परवरिश नहीं मिली. हालांकि सोनम साथ ही कहती हैं कि महिलाओं के प्रति समाज के नजरिये में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.
इसके साथ ही सोनम कहती हैं, अगर आपके दिमाग में कुछ हैं, आपके कुछ सपने हैं तो आपको कुछ करना चाहिए. बिना डरे अपनी राय, अपनी इच्छा पूरी करनी चाहिए. सीखते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
इस कार्यक्रम में शामिल हुईं माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली दिव्यांग महिला अरुणिमा सिन्हा कहती हैं कि जिन महिलाओं ने जिंदगी में कुछ पाया है, तो उनका भी फर्ज बनता है कि वे समाज को कुछ वापस दें. वह बताती हैं, 'जब मैं दुर्घटना का शिकार हुई थी, तब मैंने महसूस किया कि मैं इतिहास रचने के लिए ही इस हादसे से जिंदा बची.'
वहीं महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली शीरोज़ (Sheroes) की सह-संस्थापक साइरी चहल कहती है कि समाज में बदलाव हमसे ही आएगा. साइरी कहती हैं, 'आज से 10 साल पहले महिलाओं को घर में बैठने की बात कही जाती थी, उन्हें परिवार की जिम्मेदारी दी जाती थी. अब कुछ बदलाव है और अब हर महिला चाहती है कि वह सक्षम हो. वह अपनी बात कह सके.'
साइरी ने कहा कि साइंस और टेक्नॉलोजी भी आर्ट और सिनेमा के समाम समाज में बदलाव का काम कर सकता है. उन्होंने कहा, 'मोबाइल क्रांति के साथ देश में महिलाओं को भी अधिकार मिला है. महिलाएं खुद संपर्क करने लगी हैं. आगे बढ़ने लगी है. वे हमसे सीधे संपर्क करती हैं. यह सब तकनीक की वजह से हो रहा है. सिस्टम और सपोर्ट की वजह से हो रहा है.'
वह कहती हैं, 'हम एक करियर हेल्पलाइन चलाते हैं. आप इस पर किसी भी वक्त करियर कोच से बात करती सकती हैं. सभी महिलाओं के लिए हम यह सेवा चलाते हैं और अब तक करीब 10 लाख महिलाओं ने इसका लाभ लिया है.'
इस कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें...
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एक महिला इस समाज से कितनी उम्मीद कर सकती है? इस सवाल पर प्रसून कहते हैं कि एक महिला का संघर्ष तो गर्भ से ही शुरू हो जाता है. ऐसा डर रहता है कि कहीं गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या न कर दी जाए. समाज में अभी भी महिलाओं पर नौकरी के बाद घर की भी जिम्मेदारी रहती है. समाज में बेटी और बहू घर के भीतर रह जाती हैं, उनके लिए दरवाजा खोलने की जरूरत है.
प्रसून जोशी साथ ही सवाल करते हैं कि महिला जब मां बनती है तो ही बच्चे की सारी जिम्मेदारी उस पर डाल दी जाती है. पुरुष क्यों इसमें आगे नहीं आते, क्यों पुरुषों को छुट्टी नहीं दी जाती और कहा जाता कि वे बच्चे की देखभाल करे. बच्चे की इच्छा तो दोनों की थी.
वहीं लैंगिक भेदभाव को लेकर अभिनेत्री सोनम कपूर बताती हैं, 'मेरे पिता कट्टर नारीवादी हैं. मुझे अपने भाई की तुलना में किसी भी तरह अलग परवरिश नहीं मिली. हालांकि सोनम साथ ही कहती हैं कि महिलाओं के प्रति समाज के नजरिये में ज्यादा बदलाव नहीं आया है.
इसके साथ ही सोनम कहती हैं, अगर आपके दिमाग में कुछ हैं, आपके कुछ सपने हैं तो आपको कुछ करना चाहिए. बिना डरे अपनी राय, अपनी इच्छा पूरी करनी चाहिए. सीखते हुए आगे बढ़ना चाहिए.
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वहीं महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने वाली शीरोज़ (Sheroes) की सह-संस्थापक साइरी चहल कहती है कि समाज में बदलाव हमसे ही आएगा. साइरी कहती हैं, 'आज से 10 साल पहले महिलाओं को घर में बैठने की बात कही जाती थी, उन्हें परिवार की जिम्मेदारी दी जाती थी. अब कुछ बदलाव है और अब हर महिला चाहती है कि वह सक्षम हो. वह अपनी बात कह सके.'
साइरी ने कहा कि साइंस और टेक्नॉलोजी भी आर्ट और सिनेमा के समाम समाज में बदलाव का काम कर सकता है. उन्होंने कहा, 'मोबाइल क्रांति के साथ देश में महिलाओं को भी अधिकार मिला है. महिलाएं खुद संपर्क करने लगी हैं. आगे बढ़ने लगी है. वे हमसे सीधे संपर्क करती हैं. यह सब तकनीक की वजह से हो रहा है. सिस्टम और सपोर्ट की वजह से हो रहा है.'
वह कहती हैं, 'हम एक करियर हेल्पलाइन चलाते हैं. आप इस पर किसी भी वक्त करियर कोच से बात करती सकती हैं. सभी महिलाओं के लिए हम यह सेवा चलाते हैं और अब तक करीब 10 लाख महिलाओं ने इसका लाभ लिया है.'
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