बीजेपी नेता अल्फोंस का पत्ता कटा, वीपी सिंह बदनोर को मिली चंडीगढ़ के प्रशासक की जिम्मेदारी

बीजेपी नेता अल्फोंस का पत्ता कटा, वीपी सिंह बदनोर को मिली चंडीगढ़ के प्रशासक की जिम्मेदारी

खास बातें

  • अल्फोंस ने कहा, अमित शाह से चंड़ीगढ़ का प्रशासक बनाए जाने की खबर मिली
  • शाह ने दोबारा फोन कर बताया कि यह नियुक्ति नहीं होने जा रही है : अल्फोंस
  • अल्फोंस की नियुक्ती का शिअद एवं कांग्रेस विरोध कर रहे थे
तिरुवनंतपुरम:

केरल के पूर्व नौकरशाह और अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता केजे अल्फोंस को चंडीगढ़ का प्रशासक बनाए जाने के ऐलान के अगले ही दिन सरकार ने पंजाब के नवचयनित राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को इस केंद्र शासित प्रदेश की जिम्मेदारी सौंप दी है.

दरअसल पंजाब में आगामी चुनाव से पहले अल्फोंस की नियुक्ति का शिअद और कांग्रेस जैसी पार्टियां विरोध कर रही थीं. इसे देखते हुए सरकार ने चंडीगढ़ में पिछले 32 वर्षों से चली आ रही परंपरा पर ही चलते हुए पंजाब के राज्यपाल को यह जिम्मेदारी सौंपी. बदनोर को बुधवार को ही राज्यपाल पद के लिए चुना गया था.

हालांकि अल्फोंस ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि इस केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक के रूप में उनकी नियुक्ति 'नहीं होने जा रही है'. अल्फोंस ने कहा था, 'पंजाब में बहुत जल्द चुनाव का समय शुरू होने वाला है, इसलिए राजनीतिक दलों ने मुझे लेकर परहेज जताया है. मेरी नियुक्ति नहीं होने जा रही है. चूंकि मुझे नियुक्ति आदेश मिला नहीं, इसलिए आदेश रद्द किए जाने का सवाल ही नहीं उठता. मैं कहूंगा कि मेरी नियुक्ति नहीं होने जा रही.'

अल्फोंस ने कहा, '13 अगस्त को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मुझे यह सूचित करने के लिए फोन किया, मेरी नियुक्ति की स्वीकृति मिल चुकी है. लेकिन, इस पर पंजाब के राजनीतिक दलों के चिंता जताने के बाद उन्होंने मुझे बुधवार की रात फिर यह कहने के लिए फोन किया कि यह नियुक्ति नहीं होने जा रही है.'

अल्फोंस भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के बहुत लोकप्रिय अफसर थे. उन्होंने वर्ष 2006 में नौकरी से इस्तीफा देकर वामदल समर्थक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में केरल से विधानसभा चुनाव लड़ा था. वह न केवल चुनाव जीते, बल्कि कोट्टायम जिले के कांजीरापल्ली विधानसभा क्षेत्र के एक प्रभावशाली विधायक बन गए.

जब उनका फिर से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था, तभी वह केरल की राजनीति छोड़कर दिल्ली आ गए और बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हो गए. तब से वह केरल में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी के लिए सक्रिय रहे हैं. अल्फोंस तब चर्चा में आए थे जब दिल्ली विकास प्राधिकरण के आयुक्त के रूप में 1990 के दशक में 14 हजार अवैध निर्माण गिरा दिए थे.


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