श्रीहरिकोटा:
भारत ने आसमान में एक और छलांग लगाई है. श्रीहरिकोटा से लॉन्च किए गए पीएसलवी सी-38 का लॉन्च कामयाब रहा. ये पीएसएलवी की लगातार 39 वीं सफल उड़ान है. इसके ज़रिए भेजे गए कार्टोसैट सैटेलाइट अपनी कक्षा में पहुंच गया है. ये सैटेलाइट न सिर्फ भारत के सरहदी और पड़ोस के इलाकों पर अपनी पैनी नजर रखेगा बल्कि स्मार्ट सिटी नेटवर्क की योजनाओं में भी मददगार रहेगा. ये सैटेलाइट 500 किमी से भी ज्यादा ऊंचाई से सरहदों के करीब दुश्मन की सेना के खड़े टैंकों की गिनती कर सकता है. भारत के पास पहले से ऐसे पांच सैटेलाइट मौजूद है.
पीएसएलवी पर कार्टोसैट-2 के अलावा जो उपग्रह गए हैं, उनमें से 29 नैनो उपग्रह 14 देशों के हैं. ये देश हैं- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक रिपब्लिक, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका. इसके अलावा एक नैनो उपग्रह भारत का है.
उपग्रह प्रक्षेपण की 28 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार सुबह पांच बजकर 29 मिनट पर शुरू हो गई थी. कार्टोसैट-2 श्रृंखला के तीसरे उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही भारत की अंतरिक्ष और अधिक पैनी और व्यापक होने जा रही है. हालिया रिमोट सेंसिंग उपग्रह की विभेदन क्षमता 0.6 मीटर की है. इसका अर्थ यह है कि यह छोटी चीजों की तस्वीरें ले सकता है.
यह पीएसएलवी की 40 वीं उड़ान है. कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह का वजन 712 किलोग्राम है. कार्टोसैट-2 रिमोट सेंसिंग उपग्रह है. इसरो के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के 29 नैनो उपग्रह इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच के व्यवसायिक समझौतों के आधार पर प्रक्षेपित किए गए हैं. इसरो का प्रमुख रॉकेट पीएसएलवी-38 शुक्रवार को अपने साथ कार्टोसैट-2 सीरीज का एक उपग्रह और 30 साथी उपग्रह लेकर रवाना हो गया है. कार्टोसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह रक्षा बलों के लिए समर्पित है. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पर ले जाए गए इन उपग्रहों का कुल वजन लगभग 955 किलोग्राम है. (इनपुट्स भाषा से)
पीएसएलवी पर कार्टोसैट-2 के अलावा जो उपग्रह गए हैं, उनमें से 29 नैनो उपग्रह 14 देशों के हैं. ये देश हैं- ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक रिपब्लिक, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका. इसके अलावा एक नैनो उपग्रह भारत का है.
- एसलवी सी-38 का लॉन्च कामयाब रहा
- आसमान से सरहद पर नज़र रखेगा कार्टोसैट
- 500 किमी ऊंचाई से दुश्मन के टैंकों की गिनती में सक्षम
- यह छोटी चीजों पर भी नजर रख सकता है
- स्मार्ट सिटी नेटवर्क की योजनाओं में भी मददगार
- भारत के पास पहले से ऐसे पांच सैटेलाइट मौजूद है
- कार्टोसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह रक्षा बलों के लिए समर्पित है
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पर ले जाए गए इन उपग्रहों का कुल वजन लगभग 955 किलोग्राम है.
उपग्रह प्रक्षेपण की 28 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार सुबह पांच बजकर 29 मिनट पर शुरू हो गई थी. कार्टोसैट-2 श्रृंखला के तीसरे उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ ही भारत की अंतरिक्ष और अधिक पैनी और व्यापक होने जा रही है. हालिया रिमोट सेंसिंग उपग्रह की विभेदन क्षमता 0.6 मीटर की है. इसका अर्थ यह है कि यह छोटी चीजों की तस्वीरें ले सकता है.
यह पीएसएलवी की 40 वीं उड़ान है. कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह का वजन 712 किलोग्राम है. कार्टोसैट-2 रिमोट सेंसिंग उपग्रह है. इसरो के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के 29 नैनो उपग्रह इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच के व्यवसायिक समझौतों के आधार पर प्रक्षेपित किए गए हैं. इसरो का प्रमुख रॉकेट पीएसएलवी-38 शुक्रवार को अपने साथ कार्टोसैट-2 सीरीज का एक उपग्रह और 30 साथी उपग्रह लेकर रवाना हो गया है. कार्टोसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह रक्षा बलों के लिए समर्पित है. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पर ले जाए गए इन उपग्रहों का कुल वजन लगभग 955 किलोग्राम है. (इनपुट्स भाषा से)
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