इसरो ने इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया था.
नई दिल्ली:
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) का कम्युनिकेशन सैटेलाइट जीसैट 6-ए से संपर्क टूट गया है. यह सैटेलाइट 29 मार्च को प्रक्षेपित किया गया था. उपग्रह के साथ संपर्क फिर से स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि इसरो सैटेलाइट की गतिविधियों को लेकर चुप्पी साधे हुए था. इसरो ने कहा है कि 31 मार्च की सुबह द्रव अपोगी मोटर (एलएएम) ने करीब 53 मिनट चल कर जीसैट 6-ए को दूसरी कक्षा तक सफलतापूर्वक पहुंचाया. इस सैटेलाइट को तैयार करने में 270 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
अंतरिक्ष एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है, उपग्रह को एक अप्रैल को तीसरी और अंतिम बार इंजन की मदद से अपने अंतिम लक्ष्य पर पहुंचना था और फिर कक्षा में चक्कर लगाना था. हालांकि उससे हमारा संपर्क टूट गया. इसरो का कहना है, 'उपग्रह के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है.'
ISRO का जीसैट 6-A सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च, 10 खास बातें...
इसरो ने जीएसएलवी एफ-08 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही जीसैट 6-ए को उसकी कक्षा में स्थापित किया था. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह मोबाइल सिग्नल को सुदूर इलाकों में पहुंचाने में मदद करेगा. उपग्रह के संबंध में इसरो की चुप्पी ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया था. सामान्य तौर पर इसरो उपग्रह के सभी स्तर की गतिविधियों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करता है.
VIDEO : गुरुवार को ही लॉन्च हुआ था जीसैट-6 ए
आपको बता दें कि GSAT 6A एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है और इसको तैयार करने में 270 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल भारतीय सेना के लिए किया जाएगा. यह उपग्रह बेहद सुदूर क्षेत्रों में भी मोबाइल संचार में मदद करेगा इससे पहले 31 अगस्त 2017 में भी पीएसएलवी से IRNSS 1H उपग्रह की लॉन्चिंग असफल हो गई थी.
(इनपुट : भाषा)
अंतरिक्ष एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है, उपग्रह को एक अप्रैल को तीसरी और अंतिम बार इंजन की मदद से अपने अंतिम लक्ष्य पर पहुंचना था और फिर कक्षा में चक्कर लगाना था. हालांकि उससे हमारा संपर्क टूट गया. इसरो का कहना है, 'उपग्रह के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है.'
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इसरो ने जीएसएलवी एफ-08 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही जीसैट 6-ए को उसकी कक्षा में स्थापित किया था. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह मोबाइल सिग्नल को सुदूर इलाकों में पहुंचाने में मदद करेगा. उपग्रह के संबंध में इसरो की चुप्पी ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया था. सामान्य तौर पर इसरो उपग्रह के सभी स्तर की गतिविधियों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करता है.
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आपको बता दें कि GSAT 6A एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है और इसको तैयार करने में 270 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल भारतीय सेना के लिए किया जाएगा. यह उपग्रह बेहद सुदूर क्षेत्रों में भी मोबाइल संचार में मदद करेगा इससे पहले 31 अगस्त 2017 में भी पीएसएलवी से IRNSS 1H उपग्रह की लॉन्चिंग असफल हो गई थी.
(इनपुट : भाषा)
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