क्यों लगता है राष्ट्रपति शासन, क्या है पूरी प्रक्रिया? यहां समझें- पूरा मामला

राष्ट्रपति (President Rule) शासन से जुड़े प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 356 और 365 में हैं. राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्य सीधे केंद्र के नियंत्रण में आ जाता है.

क्यों लगता है राष्ट्रपति शासन, क्या है पूरी प्रक्रिया? यहां समझें- पूरा मामला

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना के बीच बात नहीं बन पाई है और राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना है.

नई दिल्ली :

महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार गठन को लेकर गतिरोध जारी है. शिवसेना मुख्यमंत्री पद को लेकर शुक्रवार को भी अड़ी रही और उसने भाजपा से राज्य की सत्ता में बने रहने के लिए 'कार्यवाहक' सरकार के प्रावधान का दुरुपयोग नहीं करने को कहा. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर यानी कल ख़त्म हो रहा है, लेकिन अब तक सरकार बनाने के लिए किसी एक दल या गठबंधन ने दावेदारी नहीं की है. ऐसे में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन (President Rule) के हालात बनते दिख रहे हैं. दरअसल, किसी भी राज्य में जब राज्यपाल को लगता है कि कोई भी पार्टी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है तो वह राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हैं. इसके अलावा यदि राज्य सरकार केंद्र सरकार द्वारा दिये गये संवैधानिक निर्देशों का पालन नहीं करती है तो उस हालत में भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.

दोनों सदनों की मंजूरी जरूरी 
राष्ट्रपति (President Rule) शासन से जुड़े प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 356 और 365 में हैं. राष्ट्रपति शासन लगने के बाद राज्य सीधे केंद्र के नियंत्रण में आ जाता है. किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के दो महीनों के अंदर संसद के दोनों सदनों से इसका अनुमोदन किया जाना जरूरी है. किसी भी राज्य में एक बार में अधिकतम 6 महीने के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. वहीं, किसी भी राज्य में अधिकतम तीन साल के लिए ही राष्ट्रपति शासन लगाने की व्यवस्था है. इसके लिए भी हर 6 महीने में दोनों सदनों से अनुमोदन जरूरी है. 

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बहुमत मिला तो हट सकता है राष्ट्रपति शासन
किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद अगर कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने के लिए जरूरी सीटें हासिल कर लेता है (बहुमत प्राप्त करने की स्थिति में आ जाता है) तो राष्ट्रपति शासन हटाया भी जा सकता है. महाराष्ट्र की बात करें तो राज्य में 21 अक्टूबर को हुए चुनावों में 105 सीटें जीत कर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी भाजपा और 56 सीटें जीतने वाली उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने अब तक साथ-साथ या अलग-अलग, सरकार बनाने का दावा पेश नहीं किया है.‘महायुती' के बैनर तले चुनाव लड़ने वाले ये दोनों दल चुनाव नतीजे आने के बाद से मुख्यमंत्री पद साझा किए जाने को लेकर उलझे हुए हैं.