क्या कांग्रेस की गले की फांस  बन सकता है अगस्ता वेस्टलैंड सौदा, जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रम...

दावा किया जा रहा है कि भारतीय जांच एजेंसियों की पूछताछ में मिशेल (Christian Michel) उन नेताओं और नौकरशाहों के नाम उगल सकता है जिन्हें 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर (agustawestland case) सौदे के लिए कथित रूप से रिश्वत दी गई थी.

क्या कांग्रेस की गले की फांस  बन सकता है अगस्ता वेस्टलैंड सौदा, जानिए अब तक का पूरा घटनाक्रम...

अगस्तावेस्टलैंड मामले का मुख्य बिचौलिया भारत लाया गया

खास बातें

  • पहली बार 1999 में हेलीकॉप्टर खरीदने की बात कही गई थी
  • दुबई में क्रिश्चयन मिशेल को किया गया था गिरफ्तार
  • सीबीआई ने शुरू की थी इस मामले में की जांच
नई दिल्ली:

कांग्रेस पार्टी जहां राफेल डील (Rafale Deal) को केंद्र सरकार के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती रही है वहीं अब अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर (Agustawestland case) मामले ने केंद्र सरकार को कांग्रेस पर पलटवार करने का पूरा मौका दे दिया है. अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर सौदे मामले के मुख्य बिचौलिये क्रिश्चयन मिशेल (Christian Michel) के प्रत्यर्पण के बाद से ही केंद्र सरकार और खुद पीएम मोदी (PM Modi) इस डील में कांग्रेस के शामिल होने को लेकर कई बड़े खुलासे होने का दावा कर रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि भारतीय जांच एजेंसियों की पूछताछ में मिशेल (Christian Michel) उन नेताओं और नौकरशाहों के नाम उगल सकता है जिन्हें 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर (agustawestland case) सौदे के लिए कथित रूप से रिश्वत दी गई थी. अगर ऐसा होता है तो केंद्र सरकार कांग्रेस पर नए सिरे से आक्रामक हो सकती है. जानकारों की मानें तो अगस्तावेस्टलैंड सौदा (agustawestland case) अब कांग्रेस की गले की फांस बन सकता. आइये जानते हैं क्या है अगस्तावेस्टलैंड मामला और इसके तहत कब क्या क्या हुआ....

नए हेलीकॉप्टर खरीदने का सुझाव
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान भारत और राज्य सरकारों के VVIP लोग भारतीय वायुसेना के MI-8 हेलिकॉप्टर्स का इस्तेमाल करते थे. इन हेलिकॉप्टर्स की तकनीक पुरानी हो चुकी थी, इसलिए वायुसेना ने अगस्त 1999 में  MI-8 चॉपर बदलने का सुझाव दिया. इसपर सरकार ने अमल करना शुरू किया. 

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दुनियाभर की कंपनी को आमंत्रित किया गया
नए हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए दुनियाभर की कंपनियों को बोली लगाने के लिए मार्च 2002 में आमंत्रित किया गया. बता दें कि उस समय 4 वेंडर्स ने इस टेंडर में रुचि दिखाई थी. इसमें यूरोकॉप्टर EC-225 सबसे आगे नज़र आ रहा था. ऐसा इसलिए भ क्योंकि यह 6000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता था. 

हेलीकॉप्टर खरीदने की कवायद शुरू
UPA-1 सरकार ने नए हेलिकॉप्टर खरीदने के लिए  मार्च 2005 में अपनी कवाजद शुरू की. इस दौरान ज़्यादा दावेदारों द्वारा बोली लगवाने के लिए नए हेलिकॉप्टर्स की तकनीकी शर्तों में बदलाव किया गया. बता दें कि 2005 में ही मनमोहन सरकार ने इस डील में इंटीग्रिटी क्लॉज़ डाला, जिसके मुताबिक अगर किसी डिफेंड डील में कोई दलाल शामिल पाया गया, तो डील रद्द कर दी जाएगी. इसी शर्त की वजह से बाद में अगुस्टा-वेस्टलैंड डील विवाद की वजह बन गई थी. इस दौरान ही प्रणब मुखर्जी देश के रक्षामंत्री और एसपी त्यागी वायुसेना प्रमुख थे. 

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जारी किया गया नया टेंडर
सरकार ने सितंबर 2006 में 12 नए और वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए एक नया टेंडर जारी किया. इसके लिए तीन कंपनियों- ब्रिटेन की AW-101, अमेरिका की S-92 और  रूस की Mi-172 ने आवेदन किया. बता दें कि रूसी कंपनी का आवेदन शुरुआती दौर में ही खारिज हो गया. 

प्रस्ताव को दी गई मंजूरी
UPA-2 सरकार के दौरान वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने फरवरी 2010 में कैबिनेट कमिटी के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें 12 हेलिकॉप्टर खरीदने का प्रस्ताव दिया गया था. इसका ठेका तब 556 मिलियन यूरो यानी करीब 3,546 करोड़ रुपए में अगुस्टा वेस्टलैंड को दिया गया.अगुस्टा वेस्टलैंड का हेडक्वॉर्टर ब्रिटेन में है, जबकि इसकी पैरंट कंपनी फिनमैकेनिका का हेडक्वॉर्टर इटली में है.  

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इटली की एजेंसियों ने लगाया दलाली का आरोप
इस डील को लेकर पहली बार इटली की जांच एजेंसियों ने फरवरी 2012 में दलाली की बात कही. इटली की एजेंसियों के मुताबिक फिनमैकेनिका ने यह ठेका हासिल करने के लिए भारत के कुछ नेताओं और वायुसेना के कुछ अधिकारियों को 360 करोड़ रुपए की रिश्वत दी. इटली की एजेंसियों ने इस डील में तीन दलालों- क्रिश्चियन मिशेल, गुइदो हाश्के और कार्लो गेरोसा के शामिल होने की बात कही. 

सीबीआई को सौंपी गई जांच
मार्च 2013 में भारत में इस डील की जांच CBI को सौंप दी गई. CBI ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी, उनके तीन भाइयों, ओरसी और स्पैग्नोलिनी समेत नौ लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. हालांकि, इस समय तक इस डील में किसी नेता या अधिकारी का नाम सामने नहीं आया था. 

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यूपीए टू ने रद्द की डील
लोकसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही UPA-2 सरकार ने अगुस्टा वेस्टलैंड के साथ यह डील जनवरी 2014 में रद्द कर दी. उस दौरान जो पेमेंट पहले ही किया जा चुका था, उसे कवर करने के लिए अगुस्टा वेस्टलैंड द्वारा दाखिल की गई अडवांस बैंक गैरंटी को भुनाया गया. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सौदा करने के साथ इसकी सभी शर्तों को पूरा करने की गारंटी देने के लिए कंपनी ने 1,700 करोड़ रुपए की बैंक गैरंटी दी थी. यह पैसा भारत और इंटरनेशनल बैंकों में जमा था. रक्षा मंत्रालय ने डील के लिए 30% रकम अडवांस जमा की थी.

गवर्नर एमके नारायणन से पूछताछ
CBI ने इस डील में रिश्वत के आरोप की जांच के सिलसिले में जून 2014 में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन गवर्नर एमके नारायणन से बतौर गवाह पूछताछ की. नारायणन उस ग्रुप में शामिल थे, जिसने हेलिकॉप्टर खरीदने से पहले टेंडर प्रॉसेस देखा था. नारायणन 2005 में उस मीटिंग में भी शामिल थे, जिसमें हेलिकॉप्टर की टेक्निकल शर्तों में बड़े बदलावों की इजाज़त दी गई. वहीं, अक्टूबर 2014 में इटली की निचली अदालत ने ओरसी और स्पैग्नोलिनी को हेराफेरी के लिए दो साल की सज़ा सुनाई और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप माफ कर दिए. 

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कोर्ट ने पलटा फैसला
 इटली की मिलान कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को अप्रैल 2016 में पलट दिया और अगुस्टा-वेस्टलैंड और फिनमैकेनिका के प्रमुखों को भ्रष्टाचार का दोषी मानती है. मिलान कोर्ट ने ओरसी को साढ़े चार साल और स्पैग्नोलिनी को चार साल का सज़ा सुनाती है. वहीं, भारत की पिछली UPA-2 सरकार ने इटली के प्रॉसिक्यूटर्स को पर्याप्त सबूत और अहम दस्तावेज नहीं दिए. इस मामले में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी को भी भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया.

गिरफ्तार हुआ मिशेल
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील मामले के मुख्य बिचौलियों में से एक क्रिश्चयन मिशेल को फरवरी 2017 में  UAE में गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद से ही भारत मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए कोशिशें कर रहा था. 

सीबीआई ने बताया डील के लिए मिशेल आया भारत
अक्टूबर 2017 में CBI ने बताया कि दो या दो से ज़्यादा इंजन वाले हेलिकॉप्टर्स की ही बोली लगाई जा सकती थी. एक इंजन वाले हेलिकॉप्टर नीलामी के योग्य नहीं थे, इसलिए जानबूझकर दो इंजन से ठीक पहले कम से कम जोड़ा गया था. ऐसे में धोखे से EH-101 (इसे ही बाद में AW-101 के नाम से जाना जाता है) बोली के योग्य बना दिया गया. CBI ने बताया कि अगस्ता डील के दौरान मिशेल 25 बार भारत आया.  

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कोर्ट ने दी प्रत्यर्पण की इजाजत
दुबई की एक कोर्ट ने मिशेल को भारत को प्रत्यर्पित करने के लिए सितंबर 2018 में इजाज़त दे दी. इसी दौरान पता चला कि मिशेल अगस्ता डील से पहले भी भारत के रक्षा सौदों में दलाल के तौर पर भी शामिल रहा है. मिशेल ने बाद में माना कि वह फ्रांस के मिराज जेट की खरीदारी में कमीशन एजेंट रहा था और इटली की कंपनियों ने उसे भारत में 'कामकाज' कराने के लिए 4.86 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था. 

भारत लाया गया मिशेल
तमाम कोशिशों के बाद आखिरकार 4 दिसंबर 2018 को मिशेल को दुबई से भारत लाया गया. इसके बाद सीबीआई ने उससे मामले को लेकर पूछताछ शुरू की. 


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