
9 मार्च को सतारा में 150 किलो मेफेड्रोन ड्रग के साथ पकड़े गए पुलिस हवलदार धर्मराज कालोखे को मुंबई पुलिस इस उम्मीद से लेकर आई है कि वो उसके आकाओं तक पंहुच सके। लेकिन कालोखे ने खुद ही मामले में मुंबई के एक आईपीएस अफसर का नाम उछालकर मुंबई पुलिस को बैकफुट पर भेज दिया है। आरोपी कालोखे ने अदालत को एक पत्र लिखकर बताया है कि सतारा पुलिस उससे मुंबई के एक आईपीएस के बारे में बार-बार पूछताछ कर रही थी।
कालोखे के वकील नवीन चौमाल ने अदालत के बाहर मीडीया से बात करते हुए बताया कि हो सकता है अपने बड़े अफसरों को बचाने के लिए ही मुंबई पुलिस उसके खिलाफ एक फर्जी मामला बनाकर लाई है। जबकि सतारा में पहले से एक मामला दर्ज है और मुंबई पुलिस की जांच उसी का हिस्सा है।
धर्मराज कालोखे असल में मुंबई में मरीन ड्राईव पुलिस का सिपाही था। वो थाना इंचार्ज से ये कहकर सतारा में अपने गांव गया था कि उसके पिता का देहांत हो गया है। लेकिन उसका असली मकसद 150 किलो एमडी ड्रग को गोवा ले जाकर बेचना था। पर उसके पहले ही सतारा पुलिस को उसकी भनक लग गई और 9 मार्च को उन्होंने कालोखे को ड्रग के साथ गिरफ्तार कर लिया।
पुछताछ में पता चला कि वो जिस मरीन ड्राईव पुलिस थाने में कार्यरत था वहां उसके लॉकर में भी ड्रग छिपाकर रखा गया था। मुंबई पुलिस ने सतारा पुलिस का इंतजार किए बिना ही लॉकर खोल कर तलाशी ली तो उसमें 12 किलो ड्रग बरामद हुआ। इसलिए मुंबई पुलिस ने एक अलग मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
मुंबई में एमडी की सबसे बड़ी सौदागर जिस शशिकला पाटणकर उर्फ बेबी के साथ आरोपी हवलदार का नाम जोड़ा जा रहा है वो अभी तक ना तो सतारा पुलिस और ना ही मुंबई पुलिस के हत्थे चढ़ पाई है। पता चला है कि उसका पूरा परिवार नशे के धंधे में है। धर्मराज कालोखे के पकड़े जाने की सूचना मिलते ही वो मुंबई छोड़ सूरत भाग गई थी। वहां से वापस मुंबई के बोरीवली में आई। लेकिन उसके बाद कहां गायब हो गई ये किसी को नहीं पता।
बताया जाता है कि बेबी पुलिस और दूसरे सरकारी अफसरों को पहले अपने प्रेमजाल में फंसाती है फिर बड़ी सफाई से उन्हें अपने काले धंधे में शामिल कर लेती है। इसलिए ड्रग तस्करी के इस रैकट में एक कस्टम अधिकारी का नाम भी आ रहा है। हैरानी की बात है कि खुद आरोपी ये सवाल उठा रहा है कि एक अदना सा सिपाही बिना बड़े अधिकरियों की मदद से कैसे इतना बड़ा रैकेट चला सकता है। लेकिन वो खुद आरोपी होकर अपने आकाओं का नाम नहीं बता रहा है। एमडी यानी मेफेड्रोन ड्रग को म्याउं-म्याउं नाम से भी जाना जाता है।
हाल ही में एनडीपीएस कानून के तहत प्रतिंबंधित किए इस ड्रग ने मुंबई में बड़े पैमाने पर युवकों को जकड़ रखा है। मुंबई पुलिस के ही एक हवलदार के पकड़े जाने और फिर कस्टम और आईपीएस अफसर का नाम उछलने से ये मामला और भी पेचीदा हो गया है।
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