सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग प्रकरण में एन श्रीनिवासन और 12 क्रिकेटरों के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए समिति के गठन पर अपना फैसला आज सुरक्षित रखा।
न्यायमूर्ति एके पटनायक की अध्यक्षता वाली पीठ ने पहले सुझाव दिया था कि न्यायमूर्ति मुद्गल समिति ही आगे भी जांच करें, लेकिन बीसीसीआई और श्रीनिवासन ने इसका विरोध किया है। कोर्ट ने कहा है कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि जब तक सही तरीके से गठित जांच समिति आरोपों की विस्तार से तफ्तीश नहीं करती, वह श्रीनिवासन और 12 अन्य के खिलाफ मुद्गल समिति की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकता है।
कोर्ट ने कहा कि आरोपों की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए ही उसने मुद्गल समिति से आगे की जांच कराने का सुझाव दिया था। कोर्ट ने कहा कि यदि नई जांच समिति का गठन किया जाता है तो आरोपों की जानकारी दूसरों को भी हो जाएगी।
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने समिति से पूछा था कि क्या वह एन श्रीनिवासन और 12 अन्य के खिलाफ आगे की जांच की इच्छुक है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इसमें जांच एजेंसियां समिति की मदद करेंगी।
बीसीसीआई ने भी कोर्ट को बताया था कि उसने मामले की आगे जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का फैसला किया है, लेकिन पीठ ने कहा कि सभी पक्षों और मुद्गल समिति के जवाब को सुनने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
बोर्ड की कार्यसमिति ने 20 अप्रैल को अपनी आपात बैठक में पूर्व हरफनमौला रवि शास्त्री, कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएन पटेल और सीबीआई के पूर्व निदेशक आर के राघवन को जांच समिति का सदस्य बनाया था। न्यायालय ने कहा कि जांच समिति के आरोपों पर वह अपनी आंखें नहीं मूंद सकता और तस्वीर साफ करने के लिए जांच जरूरी है, क्योंकि सीलबंद लिफाफे में दी गई रिपोर्ट में कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के नाम शामिल है। इससे पहले न्यायमूर्ति मुद्गल ने तीन सदस्यीय समिति को सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट दी थी।
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