नौसेना के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस (Tejas) ने भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य (INS Vikramaditya) पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. समुद्र में चल रहे विमान वाहक पोत के डेक पर किसी भारत निर्मित लड़ाकू विमान की यह पहली लैंडिंग थी. इसी के साथ पिछले 20 सालों में भारत द्वारा विकसित की गई तकनीक और डिजाइन को मान्यता भी मिल गई है.
तेजस की पहली सफल लैंडिंग के पीछे काम करने वाली टीम के एक प्रमुख सदस्य ने NDTV से कहा, आज सुबह 10:02 बजे हुई सफल लैंडिंग पहले से की गई जबरदस्त तैयारी और विमान पर किए गए गहन परीक्षणों का परिणाम थी.
सिंगल सीटर लड़ाकू विमान तेजस विमान वाहक पोत की गति के सापेक्ष 128 नॉटिकल मील (237 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति से डेक पर सुबह 10 बजकर 2 मिनट पर लैंड हुआ. तेजस के पीछे लगे अरेस्टर हुक (Arrestor Hook) को नीचे करने के बाद, तेजस (नौसेना) के प्रोटोटाइप ने आईएनएस विक्रमादित्य के डेक पर फैले तीसरे अरेस्टर वायर को पकड़ लिया. इसने रनवे की लंबाई के भीतर ही लगभग दो सेकंड में सुरक्षित रूप से लड़ाकू विमान को पूरी तरह से रोक दिया. हालांकि लक्ष्य दूसरे अरेस्टर वायर को पकड़ने का था.
तेजस के नौसेना प्रोटोटाइप पर काम करने वाली टीम अब विक्रमादित्य पर ट्विन-सीट वाले दूसरे प्रोटोटाइप को उतारेगी. इसके साथ ही विमान वाहक पोत से तेजस के टेकऑफ को भी अंजाम देगी. अगले 10 दिनों में भारतीय वायु सेना की आईएनएस विक्रमादित्य से 20 से अधिक लैंडिंग और टेकऑफ़ कराने की योजना है. साथ ही टीम स्क्वाड्रन सर्विस में पहले ही शामिल हो चुके लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना प्रोटोटाइप पर भी काम कर रही है.
इस ट्रायल में शामिल टीम के एक सदस्य ने कहा, ''हम तेजी से सीख रहे हैं. हम आज जितना जानते हैं उसकी तुलना में सितंबर में बहुत कम जानते थे.''
तेजस का नौसेना संस्करण भारतीय वायु सेना में शामिल किए जा रहे तेजस का संशोधित और भारी संस्करण है. विमान वाहक के छोटे डेक पर लैंडिंग से जुड़े भारी दबावों को झेलने में सक्षम बनाने के लिए इसमें एक भारी अंडरकैरेज की सुविधा दी गई है. पिछले कई महीनों से टीम गोवा में समुद्र तट पर आईएनएस विक्रमादित्य के डेक की रेप्लिका पर परीक्षण कर रही थी. टीम के सदस्य ने कहा, "आज हवाओं का बहाव हमारे अनुकूल होने की वजह से गोवा की अपेक्षा कैरियर पर उतरना ज्यादा आसान रहा.''
आज जिस विमान का परीक्षण किया गया वह तकनीक को तो दर्शाता है लेकिन इसका उत्पादन किए जाने की संभवना नहीं है. दरअसल इस विमान में इस्तेमाल इंजन में इतनी शक्ति नहीं है कि आवश्यक हथियार ले जा सके और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात हो सके. अब जो परीक्षण किए जा रहे हैं उनका मकसद ये जानना है कि क्या किसी विमान वाहक पोत से किसी कार्य को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए सिस्टम प्रभावी और विश्वसनीय हैं? हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स द्वारा डिजाइन किए जा रहे तेजस के ये ट्विन इंजन वैरिएंट, वर्तमान में आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात रूस द्वारा डिजाइन किए गए मिग-29 K लड़ाकू विमानों को बड़े तौर पर रिप्लेस कर सकते हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं