पनडुब्बी कलवरी का जलावतरण
मुंबई: देश में बनी स्कॉर्पीन श्रेणी की ‘कलवरी’ पनडुब्बी का समुद्र में गहन परीक्षण शुरू कर दिया गया है। इसके लिए कलवरी का जलावतरण किया गया। अब इसे अगले वर्ष के उत्तरार्ध में नौसेना में शामिल किए जाने की योजना है।
कल बुधवार को मझगांव गोदी (एमडीएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रीयर एडमिरल आरके श्रावत ने कहा, ‘इस चरण की उपलब्धि के बाद अब समुद्र में इसका परीक्षण शुरू होगा और फिर सितंबर 2016 में इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा।’
फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस से तकनीकी सहयोग
इसका निर्माण फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस के तकनीकी सहयोग से किया गया है। इसे पंटून से अलग कर समुद्र में छोड़ा गया। इसे अप्रैल में रक्षामंत्री मनोहर परिक्कर ने गोदी के बाहर निकाले जाने के लिए हरी झंडी दी थी। इस गोदी में इस श्रेणी की पहली छह पनडुब्बियां बनायी जानी है। कलवरी उनमें की पहली पनडुब्बी है।
हर नौ माह में एक पनडब्बी तैयार होगी
यह परियोजना काफी पिछड़ गई थी। गोदी ने अब कहा है कि वह हर नौ माह में एक पनडब्बी तैयार कर देगी और आर्डर 2020 तक पूरा कर दिया जाएगा।
इस पनडुब्बी की लम्बाई 67 मीटर और मोटाई 6.2 मीटर है। इसमें डीजल इंजन लगा है और इसको इस तरह से बनाया गया है कि इसमें इंजन का शोर कम हो और यह युद्ध के समय ‘चोरी’ से अपने काम को अंजाम दे सके। वायु-मुक्त प्रणोदन प्रणाली लगे होने से यह लम्बे समय तक पानी के अंदर रह सकती है। इसमें पोत मारक मिसाइलें और टारपीडो लगे होंगे।