नई दिल्ली:
खाद्यान्न महंगाई दर के 17 फीसदी को पार कर जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मुद्रास्फीति की दर को कम करने के लिए चुंगी और अन्य स्थानीय करों में छूट देने की वकालत की। उन्होंने कहा कि महंगाई ने गरीब लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। राज्यों के शीर्ष नौकरशाहों के एक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए मनमोहन सिंह ने बढ़ती महंगाई को विकास की गति के लिए 'गंभीर खतरा' करार दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक संकट से अपेक्षाकृत बेहतर ढंग से निपटने के बाद देश की अर्थव्यवस्था ने विकास की गति तो पकड़ ली है, लेकिन महंगाई ने विकास की गति के सामने एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। महत्वपूर्ण बात यह है इसने गरीब और कमजोर लोगों को ज्यादा प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, "कारण जो भी हो, लेकिन वास्तविकता यह है कि महंगाई पर अविलम्ब काबू पाने की जरूरत है।" प्रधानमंत्री ने कहा कि कीमतों पर काबू पाने के लिए जो भी कदम उठाए जाने हैं उनमें से अधिकतर राज्यों को उठाने हैं। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पाद बाजार समिति कानून की शीघ्र समीक्षा की जरूरत है, ताकि मंडी कर, चुंगी और स्थानीय करों में छूट दी जा सके। इस तरह के शुल्क आवश्यक वस्तुओं के प्रवाह में बाधा पैदा करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "जन वितरण प्रणाली को मजबूत करने, संग्रह की क्षमता बढ़ाने, आपूर्ति को मजबूत करने और संगठित खुदरा श्रृंखला की जरूरत है जिससे कि कृषि उत्पादों का तेज प्रवाह हो सके और किसानों को उसका उचित कीमत मिल सके।" प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार इस दिशा में पर्याप्त सहायता मुहैया कराती रहेगी, लेकिन प्रत्येक राज्य को एक उपयुक्त योजना के तहत काम करना होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में खाद्यान्नों की कीमत स्थिर बनाए रखने के लिए न केवल मोटे अनाज बल्कि दलहन, फल, सब्जी, दूध और पोल्ट्री उत्पादों का उत्पादन भी बढ़ाना होगा। इसके लिए हमारी व्यवस्था में महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत है। गौरतलब है कि गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 22 जनवरी को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान खाद्यान्न मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 17.05 फीसदी हो गई जो इससे पूर्व के सप्ताह में 15.57 फीसदी थी।
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