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This Article is From Dec 21, 2015

अरुणाचल के तवांग को जोड़ने वाली भारत की एकमात्र सड़क पर सफर 'नर्क से गुजरने जैसा'

अरुणाचल के तवांग को जोड़ने वाली भारत की एकमात्र सड़क पर सफर 'नर्क से गुजरने जैसा'
असम के तेंगा से त्वांग के बीच की 300 किमी की दूरी तय करने करीब एक पूरा दिन लग जाता है
त्वांग: यह अरुणाचल प्रदेश के तवांग को भारत की मुख्य धरती से जोड़ने वाली अकेली सड़क है। भारत की आखिरी सुरक्षा चौकी अरुणाचल का भलुकपोंग। इस रास्ते पर हमारे सफर के दौरान राज्य के विद्युत विभाग में कार्यरत एक सहायक इंजीनियर हमसे कहते हैं, 'इस पर सफर करना नर्क से गुजरने जैसा लगता है।'

'लिटिल तिब्बत' नाम से मशहूर तवांग भारत के नियंत्रण में है, लेकिन चीन भी उस पर दावा करता है और भारत-चीन रिश्तों में यह एक अहम मुद्दा बना रहता है। वर्ष 1962 में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इसी सड़क के जरिये भारतीय सीमा में 300 किलोमीटर तक घुस आई थी।

भारत और चीन तब से तवांग पर अपने-अपने दावों को लेकर अब भी अड़े हैं, लेकिन इसके 55 वर्षों बाद भी भारत और चीन के बीच की वास्तविक सीमा या कहें वास्तविक नियंत्रण रेखा की रखवाली के लिए सेना भेजने का यही एकमात्र रास्ता है।
 

यह सड़क चार पर्वतीय दर्रों- नेची फू, सेला, बोम्डिला और बुमला- से होकर गुजरती है, जिसमें से कुछ तो 14,000 फीट तक ऊंचे हैं। इस सड़क पर किसी भी तरह की गड़बड़ी होने से सैनिक कई दिनों तक यहीं फंसे रह जाते हैं।

भारत भूटान के लिए एक वैकल्पिक मार्ग के निर्माण की कोशिश में है, जो कि लुम्ना के रास्ते तवांग को ताशीगंग से जोड़ेगा। यह नया रास्ता भारत की मुख्य भूमि और तवांग के बीच की दूरी को 200 किलोमीटर कम कर देगा और 24 घंटों का सफर छह घंटों में सिमट जाएगा।

भारत का करीबी सहयोगी होने के बावजूद भूटान ने अब तक यह साफ नहीं किया है कि यह सड़क कब तैयार हो पाएगी। इसके अलावा किसी संकट के समय क्या भारतीय सेना इस मार्ग का उपयोग कर पाएगी, यह भी एक बड़ा सवाल है।
 

ऐसे में भारत असम से तेंगा को जोड़ने वाला एक वैकल्पिक मार्ग भी बना रहा है। हालांकि इसका संचालन पूरी तरह शुरू होने में अभी कुछ वक्त लगेगा। तवांग में 190 माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर डीएस कुशवाह कहते हैं, 'ज्यागा संरचनाएं हमारे लिए अच्छी हैं, लेकिन हर चीज़ की एक समयसीमा होती है।'

असम-अरुणाचन सीमा पर भलुपोंग में खत्म हो रही रेललाइन को भी आगे बढ़ाने की अनुमति मिल गई है, जो कि तेंगा और तवांग को जोड़ेगी। लेकिन यह रेल लाइन एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पाई है। एक वरिष्ठ सैन्य कमांडर ने एनडीटीवी को बताया, 'रेल लाइन की अलाइंमेंट पर फैसले के लिए रेलवे ने सर्वे कराया था, लेकिन इसके आगे कुछ भी नहीं हुआ।'
 

नए संपर्क मार्गों के लिए बेहद उत्सुक सेना तवांग में बड़े लैंडिंग मैदान बना रही है। अगले कुछ महीनों में इसके तैयार होने की उम्मीद है। इसके अलावा अग्रिम चौकियों पर वह ईंधन, खाद्य पदार्थ और असलहा जमा रही है। एक वरिष्‍ठ सैन्य कमांडर बताते हैं, 'अगर सड़क बाधित हो गई, तो हम आगे रसद आपूर्ति कैसे कर पाएंगे?'

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