'अग्नि-5' का ओडिशा के व्हीलर आईलैंड से सफल परीक्षण
व्हीलर आईलैंड (ओडिशा):
भारत ने शनिवार को परमाणु क्षमता संपन्न लंबी दूरी की स्वदेशी बैलेस्टिक मिसाइल 'अग्नि-5' का ओडिशा तट के व्हीलर आईलैंड से सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल 5,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है।
सुबह करीब 8:50 बजे एकीकृत परीक्षण क्षेत्र (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-4 से मोबाइल लॉन्चर के जरिये इस मिसाइल को दागा गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रवक्ता रवि कुमार गुप्ता ने बताया कि अप्रैल, 2012 में हुए अग्नि-5 के पहले परीक्षण की तरह यह भी सफल रहा है।
सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल एक टन से अधिक वजन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। सूत्रों का कहना है कि इस परीक्षण का विस्तृत विवरण अलग-अलग रडारों से मिले सभी डाटा का गहन विश्लेषण करने के बाद सामने आ सकेगा।
मिसाइल परीक्षण के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, आईलैंड के लॉन्च पैड से दागे जाने के कुछ सेकेंड के भीतर ही यह मिसाइल खिली हुई धूप के बीच आसमां में समा गई और अपने पीछे नारंगी और सफेद रंग का धुआं छोड़ती चली गई। यह परीक्षण रक्षा वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों की मौजूदगी में किया गया। लंबी दूरी की इस मिसाइल का यह दूसरा विकासात्मक परीक्षण था।
पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 को सफलतापूवर्क किया गया था। स्वदेश में निर्मित अग्नि-5, 5000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है। यह करीब 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी है। इसका वजन करीब 50 टन है। अग्नि शृंखला की दूसरी स्वदेशी मिसाइलों से अलग अग्नि-5 सबसे आधुनिक संस्करण है। इसमें नौवहन एवं पथ-प्रदर्शन, हथियार तथा इंजन के संदर्भ में कुछ नई तकनीकों को जोड़ा गया है।
अग्नि-5 के पहले परीक्षण में कई स्वदेशी नई तकनीकों का सफल परीक्षण किया गया था। 'इनरट्रायल नेवीगेशन सिस्टम' पर आधारित ‘रिंग लेजर गायरो’ तथा सबसे ज्यादा आधुनिक एवं उपयुक्त सूक्ष्म नौवहन प्रणाली ने मिसाइल का कुछ मिनटों के भीतर ही लक्ष्य तक पहुंचना सुनिश्चित किया है। भारत पहले ही अग्नि शृंखला में 700 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-1, 2000 किलोमीटर की क्षमता वाली अग्नि-2 तथा 2500 से 3500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम अग्नि-3 और अग्नि-4 विकसित कर चुका है। सूत्रों ने बताया कि कुछ और परीक्षणों के बाद अग्नि-5 को सेवाओं में शामिल किया जाएगा।
सुबह करीब 8:50 बजे एकीकृत परीक्षण क्षेत्र (आईटीआर) के प्रक्षेपण परिसर-4 से मोबाइल लॉन्चर के जरिये इस मिसाइल को दागा गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रवक्ता रवि कुमार गुप्ता ने बताया कि अप्रैल, 2012 में हुए अग्नि-5 के पहले परीक्षण की तरह यह भी सफल रहा है।
सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल एक टन से अधिक वजन तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। सूत्रों का कहना है कि इस परीक्षण का विस्तृत विवरण अलग-अलग रडारों से मिले सभी डाटा का गहन विश्लेषण करने के बाद सामने आ सकेगा।
मिसाइल परीक्षण के एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, आईलैंड के लॉन्च पैड से दागे जाने के कुछ सेकेंड के भीतर ही यह मिसाइल खिली हुई धूप के बीच आसमां में समा गई और अपने पीछे नारंगी और सफेद रंग का धुआं छोड़ती चली गई। यह परीक्षण रक्षा वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों की मौजूदगी में किया गया। लंबी दूरी की इस मिसाइल का यह दूसरा विकासात्मक परीक्षण था।
पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 को सफलतापूवर्क किया गया था। स्वदेश में निर्मित अग्नि-5, 5000 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम है। यह करीब 17 मीटर लंबी और दो मीटर चौड़ी है। इसका वजन करीब 50 टन है। अग्नि शृंखला की दूसरी स्वदेशी मिसाइलों से अलग अग्नि-5 सबसे आधुनिक संस्करण है। इसमें नौवहन एवं पथ-प्रदर्शन, हथियार तथा इंजन के संदर्भ में कुछ नई तकनीकों को जोड़ा गया है।
अग्नि-5 के पहले परीक्षण में कई स्वदेशी नई तकनीकों का सफल परीक्षण किया गया था। 'इनरट्रायल नेवीगेशन सिस्टम' पर आधारित ‘रिंग लेजर गायरो’ तथा सबसे ज्यादा आधुनिक एवं उपयुक्त सूक्ष्म नौवहन प्रणाली ने मिसाइल का कुछ मिनटों के भीतर ही लक्ष्य तक पहुंचना सुनिश्चित किया है। भारत पहले ही अग्नि शृंखला में 700 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-1, 2000 किलोमीटर की क्षमता वाली अग्नि-2 तथा 2500 से 3500 किलोमीटर से अधिक दूरी तक मार करने में सक्षम अग्नि-3 और अग्नि-4 विकसित कर चुका है। सूत्रों ने बताया कि कुछ और परीक्षणों के बाद अग्नि-5 को सेवाओं में शामिल किया जाएगा।
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