प्रतीकात्मक तस्वीर
बालेश्वर:
भारत ने शुक्रवार को ओडिशा तट के पास एक नौसैनिक पोत से परमाणु क्षमता युक्त धनुष बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. इस मिसाइल की मारक क्षमता 350 किलोमीटर है. अधिकारियों ने बताया कि सतह से सतह पर मार करने वाली इस मिसाइल का परीक्षण सुबह करीब 10:52 बजे बंगाल की खाड़ी में पारादीप के पास तैनात पोत से किया गया.
सूत्रों ने बताया कि धनुष मिसाइल 500 किलोग्राम पेलोड साथ लेकर जाने और जमीन एवं समुद्र में अपने लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। रक्षा बलों के सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने इसके परीक्षण को अंजाम दिया.
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एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय नौसेना की एसएफसी की ओर से प्रशिक्षण अभ्यास के तहत मिसाइल प्रक्षेपण किया गया. मिसाइल परीक्षण को पूरी तरह सफल करार देते हुए अधिकारियों ने कहा कि परीक्षण के दौरान मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हुए. उन्होंने कहा कि मिसाइल परीक्षण एवं इसकी उड़ान के प्रदर्शन की निगरानी ओड़िशा तट में रेडार सुविधाओं और डीआरडीओ की टेलीमेट्री (दूरमापी) से की गई.
एक चरण वाला और द्रव्य से प्रणोदित धनुष को रक्षा सेवाओं में पहले ही शामिल किया जा चुका है. यह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित पांच मिसाइलों में से एक है. सूत्रों ने बताया कि पिछला सफल परीक्षण नौ अप्रैल 2015 को हुआ था.
VIDEO: मिसाइल को भेदने वाली मिलाइल
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सूत्रों ने बताया कि धनुष मिसाइल 500 किलोग्राम पेलोड साथ लेकर जाने और जमीन एवं समुद्र में अपने लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है। रक्षा बलों के सामरिक बल कमान (एसएफसी) ने इसके परीक्षण को अंजाम दिया.
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एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय नौसेना की एसएफसी की ओर से प्रशिक्षण अभ्यास के तहत मिसाइल प्रक्षेपण किया गया. मिसाइल परीक्षण को पूरी तरह सफल करार देते हुए अधिकारियों ने कहा कि परीक्षण के दौरान मिशन के सभी उद्देश्य पूरे हुए. उन्होंने कहा कि मिसाइल परीक्षण एवं इसकी उड़ान के प्रदर्शन की निगरानी ओड़िशा तट में रेडार सुविधाओं और डीआरडीओ की टेलीमेट्री (दूरमापी) से की गई.
एक चरण वाला और द्रव्य से प्रणोदित धनुष को रक्षा सेवाओं में पहले ही शामिल किया जा चुका है. यह एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से विकसित पांच मिसाइलों में से एक है. सूत्रों ने बताया कि पिछला सफल परीक्षण नौ अप्रैल 2015 को हुआ था.
VIDEO: मिसाइल को भेदने वाली मिलाइल
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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