भारत ने अमेरिकी कॉंग्रेस द्वारा पाकिस्तान सरकार को 532 मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता देने की घोषणा पर सधी और तीख़ी टिप्पणी दी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सय्यद अकबरुद्दीन ने कहा है कि अमेरिका अपनी जनता द्वारा जमा किए गए टैक्स के पैसों का किस तरह से इस्तेमाल करती है ये पूरी तरह से उनका विशेषाधिकार है।
अकबरउद्दीन ने आगे कहा कि, हालाँकि भारत सरकार इस बात से सहमत नहीं है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है या अपने देश में स्थित आतंकी संगठनों को जड़ से खत्म करने लिए कोई ठोस कदम उठाया है।
अमेरिकी कॉंग्रेस ने एक सर्टिफिकेट जारी करते हुए कहा है कि, ''पाकिस्तान सरकार ने अल-काय़दा, तालिबान और उनसे जुड़े लशकर-ए-तैबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसी आतंकी संगठनों को अपनी धरती पर से काम करने से रोका है।''
अमेरिकी कॉंग्रेस द्वारा जारी की गई ये सर्टिफिकेट, केरी-ल्यूगर बिल के उस नियम की पूर्ती है जिसके तहत अमेरिका पाकिस्तान को नागरिक सहायता दे सकता है।
सय्यद अकबरुद्दीन के अनुसार, ''भारत इस राय से इत्तेफाक नहीं रखता कि पाकिस्तान आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क और अल-काय़दा को पाकिस्तान की धरती से खत्म करने के लिए किसी भी तरह की दीर्घकालिक वायदे पर अमल कर रहा है ना ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठा रहा है।"
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी इस महीने के अंत तक पाकिस्तान की यात्रा पर आने वाले हैं, जिससे पहले अमेरिकी कॉंग्रेस ने ये सर्टिफिकेट जारी किया है।
केरी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की गणतंत्र दिवस पर भारत यात्रा से पहले भारत भी आएँगे और गुजरात के गाँधीनगर में वाईब्रेंट गुजरात सम्मिट में हिस्सा लेंगे।
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