कश्मीर में मोस्ट वांटेड आतंकी रियाज नायकू को 36 घंटे चले इनकाउंटर में मार गिराया जाना दक्षिण कश्मीर में सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है. गौरतलब है कि रियाज हिज्बुल मुजाहिदीन का कमांडर था और सुरक्षाबलों को 12 सालों से उसकी तलाश थी. पिछले 6 महीने से लगातार उस पर नजर रखी जा रही थी. कई बार रियाज नायकू को पकड़ पाने में हताशा और गलत जानकारी मिलने के चलते पुलिस, सेना और अर्धसैनिक बल को आखिरकार मंगलवार को बड़ी कामयाबी हासिल हुई. जब उन्हें पुलवामा के बेग़पोरा के एक घर में रियाज मिला. कश्मीर के पुलिस चीफ दिलबाग सिंह ने एनडीटीवी को बताया कि हमारी ग्राउंड टीम को सौ प्रतिशत मालूम था कि रियाज इस घर में छिपा हुआ है.
इस बार जम्मू-कश्मीर पुलिस नायकू के करीबियों तक पहुंच सकी थी. सिंह ने बताया कि हमें वह व्यक्ति मिला था जिसने नायकू को छिपाने में मदद की थी. उन्होंने बताया, '15 दिन लगातार हमने दिन और रात काम किया. पिछले 3 दिनों से हम हर मिनट से मिनट तक, सेकेंड से सेकेंड काम कर रहे थे.' दक्षिणी कश्मीर में पैदा हुआ रियाज नायकू अपनी तकनीकी कौशल की मदद से सुरक्षा बलों से बचता आ रहा था और उसके कई ठिकाने थे जहां वह छिपा करता था. नायकू कश्मीर में अब तक सबसे लंबे वक्त तक रहने वाला आतंकी कमांडर था, जब पुलिस उसके करीबियों तक पहुंची तो फिर उसकी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया.
दिलबाग सिंह ने कहा, 'नायकू का मारा जाना हमारी लंबी और कड़ी मेहनत का नतीजा है. कई मौकों पर हम काफी करीब पहुंचते लेकिन हमें कामयाबी नहीं मिलती. हमने कई जगहों पर उसका पता लगाया, तलाशी ली और खाली हाथ लौटे.
नायकू को पकड़ने के लिए लगभग हर घर की तलाशी ली गई.' मंगलवार को जब 2 दिन चला इनकाउंटर शुरू किया गया तो तो दिनभर की तलाशी के बाद एक सुरक्षा एजेंसी पीछे हट गई थी लेकिन पुलिस डटी रही.
दिलबाग सिंह ने कहा, 'हमारी ग्राउंड टीम को पूरा यकीन था कि नायकू यहीं है और हमको हमारे अफसरों पर यकीन था. हमने दोबारा जांच एजेंसी को बुलाया और रात भर नायकू को खोजते रहे. हम को पूरा यकीन था कि वह उसी घर में है. हमारा प्लान यही था कि उसे लिए बिना वापस नहीं लौटेंगे.'
नायकू के पकड़े जाने की खबर फैलने के बाद हिंसा और विरोध प्रदर्शन के डर से पहले ही इंटरनेट मोबाइल सेवा बंद कर दी गई थी और मैसेज सेवा भी रोक लगा दी गई थी. सभी प्राइवेट मोबाइल नेटवर्क बंद कर दिए गए थे. पुलिस इस बात के लिए भी तैयार थी कि घर के अंदर अंडरग्राउंड सुरंग भी हो सकती है.
पुलिस के मुताबिक नायकू रात भर घर के एक कमरे से दूसरे कमरे में छिपता रहा और उसने पुलिस पर फायरिंग नहीं की. दिलबाग सिंह ने कहा, 'हम उम्मीद कर रहे थे कि वह हम पर फायर करेगा.' सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी तब मिली जब बुधवार की सुबह 9:00 बजे नायकू मार गिराया गया. दिलबाग सिंह ने बताया कि किसी अन्य ऑपरेशन की तरह ही इसमें भी परिवार को सुरक्षित बाहर निकालना था. इसमें बड़ा खतरा था. हम लोगों को बड़ी चोट भी आ सकती थी. हमारे वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया जा सकता था.
कश्मीर में आतंक के खिलाफ जंग में नायकू का मारा जाना सुरक्षा बलों के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है. शिक्षक से आतंकी बने नायकू को पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठनों के एक बड़े संगठन बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. दिलबर सिंह ने कहा कि इतने सारे नागरिकों, पुलिसकर्मियों को मारने वाला, अपहरण करने वाला, शांति और समृद्धि का दुश्मन रियाज नायकू मारा जा चुका है.
बता दें नायकू 2012 के बाद से सैकड़ों युवाओं को आतंकी संगठन में भर्ती कर रहा था. नायकू के मारे जाने से स्थानीय स्तर पर नौजवानों की आतंकी संगठनों में भर्ती पर रोक लगाने में बड़ी कामयाबी मिली है.
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