प्रधानमंत्री मोदी के साथ बाढ़ पर बैठक में नीतीश कुमार ने नेपाल को क्यों जिम्मेदार माना?

नीतीश ने कहा- इस वर्ष मधेपुरा ज़िले में पहले से बने हुए बांध की मरम्मत और मधुबनी में नो मैन्स लैंड में बने बांध की मरम्मत कार्य में नेपाल सरकार ने सहयोग नहीं किया

प्रधानमंत्री मोदी के साथ बाढ़ पर बैठक में नीतीश कुमार ने नेपाल को क्यों जिम्मेदार माना?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को बिहार की बाढ़ की समस्या से अवगत कराया.

पटना:

बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की मानें तो हाल के वर्षों में बाढ़ प्रबंधन के काम में नेपाल सरकार (Nepal Government) द्वारा पूरा सहयोग नहीं किया जा रहा है. नीतीश कुमार सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में छह राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ बाढ़ की स्थिति और बाढ़ प्रबंधन पर आयोजित समीक्षा बैठक में बोल रहे थे. इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि इस वर्ष मधेपुरा ज़िले में पहले से बने हुए बांध की मरम्मत और मधुबनी में नो मैन्स लैंड में बने बांध की मरम्मत कार्य में नेपाल सरकार द्वारा सहयोग नहीं किया गया.

नीतीश के अनुसार बिहार के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन के लोगों ने नेपाल के अधिकारियों से बातचीत कर समाधान की कोशिश की लेकिन उन्होंने सहयोग नहीं किया. नीतीश ने तो यहां तक कह डाला कि जो मरम्मत की कार्यवाही मई महीने के मध्य तक पूरी हो जानी चाहिए थी वह जून के अंत तक की गई. हालांकि उन्होंने दावा किया कि हम लोगों ने अपने सीमा क्षेत्र में काम मज़बूती से तात्कालिक किया है. उन्होंने  प्रधानमंत्री से अपील की कि इस स्थिति पर गौर करने की ज़रूरत है.

नीतीश कुमार के अनुसार इस साल बाढ़ से अब तक राज्य के 16 जिलों के 125 प्रखंडों में 74,00,000 से ज़्यादा लोग प्रभावित हुए है. और 1267 सामुदायिक रसोई केंद्रों पर हर दिन नौ लाख से अधिक लोग भोजन कर रहे हैं. जबकि राहत शिविरों में 27  हज़ार लोग फ़िलहाल शरण लिए हुए हैं.

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इस बैठक में नीतीश कुमार ने बिहार के डिजास्टर रिस्क मैनेजमेंट फंड को और अधिक बढ़ाने की आवश्यकता बताई क्योंकि उनके अनुसार प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रत्येक वर्ष सरकार के खजाने पर काफ़ी आर्थिक बोझ बढ़ता है. उन्होंने गंगा नदी में गाद की समस्या सोमवार को एक बार फिर उठाई और कहा कि इसके कारण जब भी नदी का जलस्तर बढ़ता है तो फ़रक्का तक पहुंचने में आठ से नोौ दिन लग जाते हैं. इसके कारण बिहार सीमा में पानी का ठहराव काफ़ी समय तक रह जाता है. हालांकि नीतीश इस बारे में पिछले कई वर्षों से केंद्र के सामने ये बात हर बैठक में उठाते रहे हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है.