क्यों ‘कांग्रेसियों’ को ‘गायब’ राहुल नहीं, सोनिया ही चाहिए अध्यक्ष

अबकी बार कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर राहुल और सोनिया के नाम पर तनातनी मुखर दिखी है। जहां अक्सर कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और कमलनाथ सरीखे नेता सीधे सीधे राहुल गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की पुरजोर सिफारिश करते नजर आते हैं वहीं एक धड़ा ऐसा भी है जो राहुल से खास खुश नहीं दिखता।

कांग्रेस नेता इस बात से नाखुश हैं कि राहुल इस नाजुक समय में क्यों गायब हैं। ऐसे समय में जब जनाधार बढ़ाने और लोगों में खोया विश्वास पाने के लिए सोनिया गांधी लगातार दौरे कर रही हैं लेकिन राहुल नदारद हैं। लैंड बिल को राहुल गांधी का बेबी कहा जाता था। ऐसे में जब लैंड बिल पर तमाम आंदोलन और संसद में इस पर बहस चर्चाएं हुईं तो राहुल गांधी उस समय भी मौजूद नहीं थे। डेढ़ महीने से वह राजनीतिक परिदृश्य से पूरी तरह से गायब हैं।

ऐसे में पार्टी के पूर्व सांसद और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने कहा कि अभी की परिस्थितियों में सोनिया गांधी को अध्यक्ष बने रहने की जरूरत है। उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया कि कांग्रेस पार्टी अभी जिस दौर से गुज़र रही है, उसमें उसका सबसे बड़ा जनरल ही नेतृत्व करे तो ठीक है। संदीप ने कहा, 'राहुल गांधी सक्षम नेता हैं, लेकिन जब कभी मुझे चुनना होगा, तब सोनिया जी हमारी बेस्ट जनरल रहेंगी।' यहां बता दें कि दो बार सांसद रह चुके संदीप एक बार यह भी कह चुके हैं कि 97 से 99 फीसदी कांग्रेसी सोनिया गांधी को अपना नेता मानते हैं और इस बारे में कोई दो राय नहीं है।

हालांकि कांग्रेस की नेता रेणुका चौधरी का कहना है कि यहां सोनिया गांधी या राहुल गांधी के बीच से किसी एक को चुनने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा कि सबकी आवाज हमें सुननी होगी और सोनिया गांधी चूंकि हमें 10 साल से लीड कर रही हैं। हमारे चैनल पर जब रेणुका चौधरी से हमारे एमडी ऑनिद्यो ने पूछा कि अध्यक्ष पद पर कौन होगा, पूछे जाने पर रेणुका काफी हद तक बिफर गईं। उन्होंने कहा कि मीडिया ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने की खबरों को दिखाया और यह अफवाह कहां से आई। अप्रैल में राहुल गांधी की 'ताजपोशी' की खबरों को उन्होंने पूरी तरह से खारिज कर दिया है। हालिया खबरों के मुताबिक, अब सितंबर से पहले राहुल की ताजपोशी  होने की संभावना नहीं है।

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वैसे कहा यह जा रहा है कि 19 अप्रैल को कांग्रेस की अगुवाई में होने वाली विशाल रैली में राहुल गांधी भी शामिल होंगे। ऐसे में राहुल के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि उन्हें पार्टी के सभी धड़ों का विश्वास जीतना होगा। लेकिन यह तो तब होगा जब वह लौटेंगे, फिलहाल तो केवल कयास बाकी हैं।