नेताजी सुभाष चंद्र बोस और आज़ाद हिन्द फौज़ की विरासत को इतिहास से मिटाने की सोची समझी कोशिश की गई है। नेताजी के रिश्तेदारों की कथित जासूसी की ख़बरों के बीच उनके भतीजे अरधेन्दु बोस ने ये आरोप लगाया है।
मुंबई के पॉश कोलाबा इलाके में रहने वाले अरधेन्दु ने एनडीटीवी इंडिया के साथ खा़स बातचीत में ये भी बताया कि वर्ली स्थित उनके घर में आने वाले कई ख़तों की भी पहले जांच की जाती थी। अरधेन्दु का ये भी कहना था कि उनके पिता ने उन्हें बताया था कि कोलकाता में रहने वाले उनके कई रिश्तेदारों के फोन टैप किए जाते थे।
मुंबई से चमड़े का कारोबार करने वाले अरधेन्दु ने कहा, ‘1947 के बाद से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ आज़ाद हिन्द फौज के नाम और काम को मिटाने की पूरी कोशिश की गई है, इतिहास की किसी भी किताब में बोस, इंडियन नेशनल आर्मी का जिक्र नहीं है।’ मुंबई में जन्मे अरधेन्दु बॉम्बे डाइंग के पूर्व मॉडल रहे हैं। उनके पिता शैलेश चंद्र नेताजी के छोटे भाई थे, जिनका 1984 में निधन हो गया था।
अरधेन्दु का कहना है कि उनका परिवार इस बात को मानता है, जिसकी पुष्टि वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान मुखर्जी कमीशन ने भी की थी कि 18 अगस्त 1945 के दिन कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त नहीं हुआ था। नेताजी, कोलकाता-अफगानिस्तान के रास्ते शायद रूस गए थे लेकिन स्टालिन ने शायद अपने दूरगामी फायदों के लिए उन्हें साइबेरिया भेज दिया जहां 1957 के आसपास उनकी मौत हो गई।
अरधेन्दु चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े सारे दस्तावेजों को गुप्ता सूची से हटा दें ताकि पूरे देश को नेताजी और उनकी मौत से जुड़ी सच्चाई के बारे में पता चल सके। इसी मुद्दे पर नेता जी के पोते सूर्या बोस ने बर्लिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की।
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