मुंबई में कोरोना के एक्टिव मामलों में लगातार बढ़ोतरी, प्राइवेट अस्पतालों के 95 % तो सरकारी के 93 % ICU बेड भरे

वेंटिलेटर बेड्ज़ की भी क़िल्लत है. सरकारी के क़रीब 94% तो प्राइवेट 95% बेड मरीज़ों से भरे हैं. प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड भी क़रीब 92% फ़ुल हैं तो सरकारी 57% भरे हैं.

मुंबई में कोरोना के एक्टिव मामलों में लगातार बढ़ोतरी, प्राइवेट अस्पतालों के 95 % तो सरकारी के 93 % ICU बेड भरे

सरकारी अस्पतालों के क़रीब 94% तो प्राइवेट के 95% बेड मरीज़ों से भरे हैं.

मुंबई:

Coronavirus In Mumbai : मुंबई शहर सितम्बर महीने में कोरोना वायरस के लगातार दो हज़ार से ऊपर मामले समाने आ रहे हैं. सिर्फ़ 14 दिनों में ऐक्टिव मामलों में 50% बढ़ोतरी हुई है. वहीं महाराष्ट्र के दूसरे ज़िले से बड़ी संख्या में मरीज़ मुंबई पहुंच रहे हैं, जिसके कारण मुंबई के प्राइवेट अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों के आईसीयू (ICU) बेड भर गए हैं. ऐसे में मुंबई में जुलाई-अगस्त में कोरोना के मामले कम होते-होते सितम्बर में एक बार फिर बढ़ते दिख रहे हैं. तो वहीं मामले दोगुना होने की रेटिंग 93 दिनों से गिरकर 56 दिनों पर आ गई है. रिकवरी रेट भी महज़ चार दिनों में 79% से गिरकर 77% पर आ गया है.

इन बढ़े मामलों के कारण मुंबई में आईसीयू बेड की बड़ी क़िल्लत देखी जा रही है. बीएमसी के इस डैशबोर्ड को देखें तो, प्राइवेट अस्पतालों में 95% तो सरकारी में 93% आईसीयू बेड भरे हैं. वेंटिलेटर बेड्ज़ की भी क़िल्लत है. सरकारी के क़रीब 94% तो प्राइवेट 95% बेड मरीज़ों से भरे हैं. प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड भी क़रीब 92% फ़ुल हैं तो सरकारी 57% भरे हैं. प्राइवेट अस्पतालों पर ज़्यादा भार नज़र आ रहा है, क्योंकि यहां के नोर्मल बेड भी 91% फ़ुल हैं. तो वहीं सरकारी के क़रीब 57% फुल है.

शहर के बड़े अस्पताल लीलावती के वरिष्ठ डॉक्टर जलील पारकार बताते हैं, राज्य के दूसरे शहरों से मरीज़ काफ़ी बढ़े हैं, और अस्पतालों में लम्बी वेटिंग लिस्ट है,

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डॉ जलील पारकर ने बताया, ‘'कल की ही बात है की 18 मरीज़ वेटिंग लिस्ट पर थे, आज भी यही हाल है. दूसरी सिटीज़ जो हैं, वहां से मरीज़ आने लगे हैं, जैसे पुणे, सातारा, सांगली, नाशिक, नागपुर है, उनके पास भी बेड कम पड़ रहे हैं. सहूलियतें कम है. बीएमसी ने 70 से ज़्यादा जो नर्सिंग होम बंद किए तो वहां एक दो जो भी आईसीयू बेड थे जहां मरीज़ भर्ती होते थे, वो अब बंद कर दिए तो मरीज जाएगा किधर? तो मरीज़ बड़े इंस्टिट्यूशंस में आने लगा है''

बीएमसी के ही इस डैशबोर्ड का आंकड़ा देखें तो बढ़ते मामलों को देखते हुए बनाए गए कोविड सेंटर CCC-1 और CCC-2 के कुल बेड में से सिर्फ़ 5-6% बेड ही भरे हैं. शहर में कोविड बेड मैनेजमेंट का ज़िम्मा सम्भाल रहे बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ गौतम भंसाली बताते हैं कि इन सरकारी कोविड सुविधा में लोग जाने से बचते हैं और इसके लिए प्रशासन ख़ास तैयारियां कर रहा है.

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कोविड बेड मैनेजमेंट इंचार्ज डॉ गौतम भंसाली ने कहा,  "हमारे पास जंबो फ़सिलिटी में 11,000 ऑक्सिजन बेड हैं यहां, 1250 आईसीयू विद वेंटिलेटर मौजूद हैं, मरीज़ जा नहीं आ रहे थे यहां क्योंकि फ़्री है तो लगता है की देखभाल अच्छी नहीं होगी. लेकिन बीएमसी ने फ़ैसला किया है की हर जंबो फ़सिलिटी को सायन, नायर, केईएम और जेजे अस्पताल की यूनिट वहां रहेगी और उनकी देखरेख में उनका ट्रीटमेंट होगा. तो लोगों के दिलों में कुछ भ्रांतियां हैं जिसके कारण वो नहीं जा रहे हैं."

मुंबई शहर में मौजूद 30,271 ऐक्टिव कोविड मरीज़ों में 1,321 मरीज़ गम्भीर हैं, यानी क़रीब 4%. इन गम्भीर मरीज़ों के लिए आईसीयू बेड बेहद अहम हैं ऐसे में प्रशासन अब लोगों में ये भरोसा जगाने की कोशिश में है की लोग उनके बनाए कोविड केयर सेंटरों का भी रुख़ करे. इसलिए यहां हेल्थ स्टाफ़ और एक्सपर्ट डाक्टर्ज़ की संख्या बढ़ाई जा रही है, सवाल है ये पहले क्यों नहीं हुआ?

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