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This Article is From Feb 09, 2014

इशरत को आतंकवादी घोषित करने वाले हलफनामे के पीछे आईबी अधिकारी : सीबीआई

इशरत को आतंकवादी घोषित करने वाले हलफनामे के पीछे आईबी अधिकारी : सीबीआई
नई दिल्ली:

इशरत जहां को गृहमंत्रालय द्वारा आतंकवादी घोषित करने के लिए दायर किए गए हलफनामे के पीछे मुठभेड़ मामले में कथित रूप से हत्या के आरोपी और आईबी के पूर्व विशेष निदेशक राजेंद्र कुमार का हाथ बताया जा रहा है।

मुठभेड़ मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल किए गए पूरक आरोपपत्र में सीबीआई ने आरोप लगाया है कि कुमार ने गृह मंत्रालय को यह सूचना दी थी कि इशरत एक आतंकवादी थी। उन्होंने उस मुठभेड़ को सही ठहराने के लिए यह बात कही थी जिसमें मुंबई की 19 वर्षीय इशरत तीन अन्य लोगों के साथ मारी गई थी। एजेंसी सूत्रों ने यह जानकारी दी।

गृह मंत्रालय में तत्कालीन अवर सचिव आरवीएस मणि ने दो महीने से भी कम के समय में गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष दो हलफनामे दायर किए थे जिनमें इशरत की पृष्ठभूमि के बारे में विरोधाभासी विचार व्यक्त किए गए थे। सूत्रों ने यह बात कही।

6 अगस्त 2009 को दाखिल किए गए हलफनामे में कहा गया था कि इशरत और तीन अन्य आतंकवादी थे। 30 सितंबर 2009 को दाखिल किए गए एक अन्य हलफनामे में कहा गया था कि इस बात को साबित करने वाले कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं कि वह आतंकवादी थी।

एजेंसी का आरोप है कि छह अगस्त 2009 को दाखिल किया गया हलफनामा कुमार के दिमाग की उपज था क्योंकि उन्हें मुठभेड़ की व्यापक जांच होने की स्थिति में अपनी भूमिका के जांच के दायरे में आने की आशंका थी। इस मुठभेड़ को सीबीआई ने फर्जी बताया था।

एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी ने बताया, 'किसी भी चीज से यह तथ्य नहीं बदलता कि यह आईबी और गुजरात पुलिस का संयुक्त आतंकवाद विरोधी अभियान था जो एक फर्जी मुठभेड़ में बदल गया। चारों पीड़ितों की पृष्ठभूमि इस तथ्य को नहीं बदलती कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी।'

गुजरात में अपने मित्र जावेद शेख उर्फ परनेश पिल्लई के साथ इशरत और दो अन्य के मारे जाने के करीब दशक भर बाद सीबीआई ने एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है जिनमें कुमार का नाम है जो उस समय गुजरात में नियुक्त थे और आईबी के संयुक्त निदेशक थे।

उनके खिलाफ शस्त्र अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के अलावा 302 (हत्या) के लिए 120 बी (आपराधिक साजिश) रचने के आरोप लगाए गए हैं।

कुमार पर इसके अतिरिक्त शस़्त्र अधिनियम के तहत अलग से भी आरोप लगाए गए हैं। सीबीआई का आरोप है कि उन्होंने 14 जून 2004 को, फर्जी मुठभेड़ से एक दिन पहले, आरोपियों को हथियार मुहैया कराए थे।

कुमार के साथ ही जिन अन्य को आरोपपत्र में नामजद किया गया है उनमें सेवारत अधिकारी पी मित्तल, एम के सिन्हा और राजीव वानखेड़े शामिल हैं।

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