मुंबई के निकट कल्याण में रहने वाले आरिफ मजीद नाम के जिस युवक के बारे में अब तक माना जा रहा था कि वह सीरिया में आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के लिए लड़ते हुए मारा गया, उसे मुंबई लौटने के कुछ घंटे बाद आज रात गिरफ्तार कर लिया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मजीद से एनआईए के साथ केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ की थी, जिसके बाद उसे हिरासत में ले लिया गया। उसे शनिवार को एक विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा।
आईएसआईएस और उसके सदस्यों के खिलाफ आईपीसी की धारा 125 के तहत एक मामला दर्ज किया गया है जो भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते रखने वाले किसी एशियाई देश के खिलाफ जंग छेड़ने से जुड़ा है और इसमें अधिकतम सजा उम्रकैद हो सकती है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार देर रात एनआईए को मामला दर्ज करने का निर्देश देते हुए अधिसूचना जारी की।
खुफिया अधिकारियों की पूछताछ में 23 साल के आरिफ ने कथित रूप से बताया कि सीरिया और तुर्की में लड़ने के लिए भेजे जाने से पहले आईएस ने 15 दिनों तक इराक में उसे प्रशिक्षण दिया। उसने बताया कि करीब एक महीने पहले उसे दो बार गोली भी लगी, लेकिन वह तुर्की के किसी सुरक्षित ठिकाने तक पहुंचने में कामयाब रहा। आईएस छोड़ने की उसकी एक वजह यह भी थी कि वह अपने जख्मों का इलाज कराना चाहता था। अपनी पूछताछ में उसने यह भी कबूला है कि ज्यादातर लड़कों का आईइस से मोह भंग हो चुका है। इसीलिए सब वापिस आना चाहते हैं।
जांचकर्ता उससे यह जानना चाहते हैं कि वह इराक में कैसे दाखिल हुआ, वह वहां से कैसे बच निकला और क्या उसके पास कथित रूप से आईएस आतंकियों द्वारा जून के महीने बगदाद से अगवा किए गए 40 भारतीयों की कोई जानकारी है।
गृहमंत्रालय के सूत्रों ने बताया, 'इन लड़कों ने देखा कि औरतों और बच्चों से क्या सलूक किया जा रहा है और उससे ये आईइस के खिलाफ हो गए लगते हैं।' गृह मंत्रालय तक जो जानकारी पहुंची है, उसके मुताबिक आरिफ पिछले कई दिनों से अपने परिवार के संपर्क में था।
हाल ही में आरिफ के पिता एजाज मजीद ने एनआईए से मुलाकात की थी और उससे कहा था कि उनका बेटा तीन महीने तक आईएस के पक्ष में लड़ाई करने के बाद उसके नियंत्रण वाले क्षेत्र से भागकर तुर्की चला गया और अब वह भारत लौटना चाहता है। आरिफ के पिता ने एनआईए को बताया कि फ़ोन पर वह बहुत रोता भी था।
एनआईए की एक टीम पिछले हफ्ते तुर्की गई थी और वहां उसे भारत वापिस आने के लिए मनाया गया। उसे यकीन दिलाया गया कि उसके खिलाफ सख्ती नहीं की जाएगी। भारत आने के लिए उसे सारे दस्तावेज़ तुर्की में ही दिए गए।
शुक्रवार सुबह 5.15 मिनट पर जब वह भारत पहुंचा तो उसे पूछताछ के लिए सुरक्षा एजेंसियां अपने साथ ले गई। आरिफ ने पूछताछ में यह भी माना है की बाकी के जो लड़के उसके साथ गए थे वह भी ज़िंदा है।
इस साल मई में कल्याण शहर से चार युवक, आरिफ मजीद, शाहीन टांकी, फहद शेख और अमन टांडेल पश्चिम एशिया के धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए गए थे, लेकिन बाद में वे गायब हो गए। संदेह था कि वे पश्चिम एशिया में सक्रिय आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया में शामिल हो गए।
पुलिस के मुताबिक, इंजीनियरिंग के ये चारों विद्यार्थी इराक में धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए 22 तीर्थयात्रियों के एक समूह का हिस्सा बनकर बगदाद गए थे। अगले दिन आरिफ ने बगदाद से अपने परिवार को फोन किया और उन्हें बगैर बताए चले जाने के लिए माफी मांगी।
अन्य यात्रियों ने भारत लौटने पर बताया कि आरिफ मजीद, शाहिन टांकी, फहद शेख और अमन टांडेल किराए पर टैक्सी लेकर बगदाद से पश्चिम में स्थित शहर फलुजाह चले गए जो इराक के चरमपंथ के केंद्र के रूप में उभरा था।
एक पारिवारिक मित्र अतीक खान ने संवाददाताओं से कहा, '26 अगस्त को टांकी ने आरिफ के परिवार को फोन किया था और उससे कहा था कि उनका बेटा सीरिया में आईएसआईएस के पक्ष में लड़ते हुए शहीद हो गया।' अगले दिन आरिफ के परिवार ने कल्याण में 'जनाजा-ए-गायबाना' (शव की गैरमौजूदगी में दिवंगत आत्मा के लिए की जाने वाली रस्म) अदा की। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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