21वीं सदी के पहले दो दशकों में दुनिया बहुत ज्यादा बदल चुकी है. इंटरनेट की दुनिया ने हमें क्या कुछ नहीं दिया है लेकिन इससे एक नया खतरा भी पैदा हुआ है. साइबर हमलों ने बड़ी-बड़ी कंपनियों से लेकर कभी-कभी एक पूरे देश के सामने मुश्किल चुनौतियां खड़ी की हैं. उत्तरी यूरोपीय देश एस्टोनिया में साइबर हमले ने कई दिनों तक इंटरनेट को पंगु बना दिया था. वहीं. हाल ही में एक अमेरिकी पाइपलाइन शटडाउन हो गया था.
हम पिछले 15 सालों में हुए बड़े साइबर हमलों पर एक बार नजर डाल रहे हैं-
साइबर युद्ध शुरू हुआ
एस्टोनिया पहला देश था, जिसपर 2007 में एक बड़ा साइबर हमला हुआ. इस हमले में कई कॉरपोरेट और सरकार की इंटरनेट सुविधाएं कई दिनों तक बंद रही थीं. एस्टोनिया ने इसके लिए रूस को जिम्मेदार बताया था. उस वक्त दोनों देशों का एक कूटनीतिक संघर्ष चल रहा था. हालांकि, रूस ने इन आरोपों को खारिज किया था.
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पहला औद्योगिक निशाना
एक शक्तिशाली कंप्यूटर वायरस था- Stuxnet. 2010 में ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को प्रभावित करने के लिए न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हमला किया था. इससे ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर हजारों कंप्यूटर प्रभावित हुए थे. वहां यूरेनियम के लिए रखी गई सेंट्रीफ्यूज मशीनें ब्लॉक हो गई थीं. ईरान ने इसके लिए इजरायल और अमेरिका पर आरोप लगाए थे.
याहू की हैकिंग
2013 में याहू के तीन बिलियन अकाउंट्स को हैक कर लिया गया था, इसे अबतक का सबसे बड़ा साइबर हमला माना जाता है. 2014 में प्लेटफॉर्म पर फिर हमला हुआ और लगभग 500 मिलियन अकाउंट हैक किए गए थे. इसमें यूजरों के यूजरनेम, ईमेल आईडी और जन्म दिन चुराए गए थे. इसकी जानकारी पांच साल बाद पता चली और 35 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगा था. आरोप रूस पर था.
एक मूवी के चलते सोनी पर बड़ा हमला
2014 में सोनी पिक्चर्स एंटरटेनमेंट पर एक बड़ा साइबर हमला हुआ था. उस साल उसकी आई फिल्म 'द इंटरव्यू' पर काफी बवाल मचा था. अमेरिका ने नॉर्थ कोरिया पर इसका आरोप लगाया था, जिसे खारिज कर दिया था. हालांकि, नॉर्थ कोरिया ने इस मूवी का सख्त विरोध किया था. दरअसल, इस मूवी में लीडर किम जोंग उन की हत्या किए जाने के CIA की कल्पित योजना को लेकर कॉमेडी बनाई गई थी.
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इस्लामिक स्टेट
इस्लामिक स्टेट के जिहादियों के समर्थन में उतरे एक समूह ने 2015 में यूएस सेंट्रल कमांड के सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैक कर लिया था. सीरिया और इराक के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका के लिए ये काफी शर्मिंदगी वाली बात थी. हैकिंग के दो महीनों बाद खुद को 'इस्लामिक स्टेट हैकिंग डिवीजन' कहने वाले एक संगठन ने 100 सैन्य कर्मचारियों के नाम और एड्रेस पब्लिश करके आईएस के समर्थकों से उनकी हत्या करने को कहा था.
2016 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव
2016 के चुनावों के पहले डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन के कैंपने स्टाफ के ईमेल्स ऑनलाइन पब्लिश कर दिए गए थे. डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद यूएस इंटेलीजेंस कम्यूनिटी ने आरोप लगाया कि रूस ने चुनावों को प्रभावित किया है. इसके बाद जांच शुरू हुई थी और कई डिप्लोमैट इसकी चपेट में आए थे. यूएस इंटेलीजेंस ने आरोप लगाया था कि डेमोक्रेटिक पार्टी पर हमला करने वाले फैंसी बियर और कोज़ी बियर नाम के हैकिंग संगठनों के पीछे रूस का हाथ था.
WannaCry रैनसमवेयर
2017 में दुनिया के कई संगठन और कंपनी एक बड़े साइबर हमले का शिकार हुए, जो माइक्रोसॉफ्ट के विंडोज़ XP ऑपरेटिंग सिस्टम के पुराने वर्जन में मौजूद सुरक्षा में एक खामी के चलते तेजी से फैला. यह हमले WannaCry के जरिए किए गए थे. यह एक तरीके का मालवेयर, जिसे रैनसमवेयर कहते हैं, होता है. इसमें वायरस चपेट में कंप्यूटर की फाइल्स को एन्क्रिप्ट कर देता है और फिर उन्हें अनलॉक करने के लिए बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी में फिरौती मांगी जाती है.
इस हमले ने 150 देशों में 300,000 कंप्यूटरों को प्रभावित किया था. इसमें ब्रिटेन का नेशनल हेल्थ सर्विस, फ्रेंच कार निर्माता कंपनी रेनॉ की एक फैक्टरी और स्पेनिश फोन ऑपरेटर टेलिफोनिका शामिल थे.
यूएस की सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर कंपनी सोलरविंड पर अटैक
अमेरिकी सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर कंपनी सोलरविंड को पिछले साल, 2020 के अंत में हैक कर लिया गया था. यह हैकिंग महीनों तक रही थी. इससे 18,000 क्लाइंट्स और 100 से ज्यादा यूएस की कंपनियां प्रभावित हुई थीं. इस हमले से गुस्साए अमेरिका ने रूस को जिम्मेदार बताते हुए उसपर आर्थिक प्रतिबंधों की घोषणा की थी.
माइक्रोसॉफ्ट की हैकिंग
इस साल मार्च में माइक्रोसॉफ्ट एक्सचेंज सर्विस में कुछ खामियों का फायदा उठाते हुए हैकिंग की गई थी. इससे 30,000 यूएस संगठन प्रभावित हुए थे. इसके पीछे चीन के एक 'असामान्य रूप से आक्रामक' साइबर जासूसी अभियान को बताया गया था.
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यूएस का पाइपलाइन शटडाउन
अभी कुछ दिनों पहले ही अमेरिका के सबसे बड़े ऑयल पाइपलाइन ऑपरेटरों में से एक कोलोनियल पाइपलाइन को साइबर अटैकर्स ने निशाना बनाया था. यह कंपनी 50 मिलियन उपभोक्ताओं को अपनी सुविधा देती है. जांच में पता चला कि इस हमले के पीछे रूस-स्थित हैकिंग समूह DarkSide का हाथ है और उसने हमले में रैन्समवेयर का उपयोग किया है. कुछ दिनों बाद पाइपलाइन कंपनी ने स्वीकार किया कि उसने हैकरों को फिरौती में 4.4 मिलियन डॉलर दिए हैं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं