घाटी में प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षाबलों द्वारा पैलेट गन के इस्तेमाल से कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं
श्रीनगर:
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पैलेट गन का इस्तेमाल किए जाने को नामंजूर करते हुए 'अप्रशिक्षित कर्मियों' द्वारा 'घातक' हथियार चलाने पर केंद्र से रिपोर्ट मांगी है।
मुख्य न्यायाधीश एन पॉल वसंतकुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अतर की सदस्यता वाली एक खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, 'पैलेट एक गोलकार छर्रा है, जिसमें लेड भरा होता है। यदि वह आंख में घुस जाए तो नुकसान होता है। क्या आप पानी, आंसू गैस जैसे अन्य तरीके नहीं इस्तेमाल कर सकते? यह (पैलेट गन) घातक साबित हुई है।'
पीठ ने कहा, 'ये आपके अपने लोग हैं। उनमें गुस्सा है। वे प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका यह मतलब नहीं कि आप उन्हें अक्षम कर देंगे। आपको उनकी रक्षा करनी है। उम्मीद है इसकी (पैलेट गन के इस्तेमाल) समीक्षा होगी।' अदालत ने सरकार से भी कहा कि वह भीड़ नियंत्रित करने के लिए पैलेट गन के अलावा अन्य तरीकों पर गौर करे।
सीआरपीएफ के डीजीपी के इस बयान की पृष्ठभूमि में कि अन्य स्थान पर प्रशिक्षण ले रही अद्धसैनिक बल की 114 कंपनियों को स्थिति नियंत्रित करने के लिए कश्मीर बुलाना पड़ा, अदालत ने कहा कि नागरिकों के अधिक संख्या में घायल होने की वजह यह थी कि अप्रशिक्षित सुरक्षा कर्मी पैलेट गन का इस्तेमाल कर रहे थे। अदालत ने साथ ही सरकार से कहा कि वह घाटी में फोन सेवाएं बहाल करे, क्योंकि इससे लोग प्रभावित हो रहे हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुख्य न्यायाधीश एन पॉल वसंतकुमार और न्यायमूर्ति मुजफ्फर हुसैन अतर की सदस्यता वाली एक खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, 'पैलेट एक गोलकार छर्रा है, जिसमें लेड भरा होता है। यदि वह आंख में घुस जाए तो नुकसान होता है। क्या आप पानी, आंसू गैस जैसे अन्य तरीके नहीं इस्तेमाल कर सकते? यह (पैलेट गन) घातक साबित हुई है।'
पीठ ने कहा, 'ये आपके अपने लोग हैं। उनमें गुस्सा है। वे प्रदर्शन कर रहे हैं। इसका यह मतलब नहीं कि आप उन्हें अक्षम कर देंगे। आपको उनकी रक्षा करनी है। उम्मीद है इसकी (पैलेट गन के इस्तेमाल) समीक्षा होगी।' अदालत ने सरकार से भी कहा कि वह भीड़ नियंत्रित करने के लिए पैलेट गन के अलावा अन्य तरीकों पर गौर करे।
सीआरपीएफ के डीजीपी के इस बयान की पृष्ठभूमि में कि अन्य स्थान पर प्रशिक्षण ले रही अद्धसैनिक बल की 114 कंपनियों को स्थिति नियंत्रित करने के लिए कश्मीर बुलाना पड़ा, अदालत ने कहा कि नागरिकों के अधिक संख्या में घायल होने की वजह यह थी कि अप्रशिक्षित सुरक्षा कर्मी पैलेट गन का इस्तेमाल कर रहे थे। अदालत ने साथ ही सरकार से कहा कि वह घाटी में फोन सेवाएं बहाल करे, क्योंकि इससे लोग प्रभावित हो रहे हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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