झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की अगुवाई में बने झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त देते हुए एक और राज्य से सत्ता से बेदखल कर दिया. राज्य में झामुमो गठबंधन ने 47 सीटों पर कब्जा किया. झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने 27 दिसंबर को मोरहाबादी मैदान में नई सरकार के शपथग्रहण की घोषणा की है. सत्ताधारी बीजेपी को 25 सीटें हासिल हुई. इन चुनावों में झामुमो ने रिकार्ड 30 सीटें जीतीं जिससे वह विधानसभा में सबसे बड़ा दल भी बन गया जबकि सिर्फ 25 सीटें जीत पाने से बीजेपी का विधानसभा में सबसे बड़ा दल बनने का सपना भी चकनाचूर हो गया.
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झारखंड के चुनावी नतीजों के बाद झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के बावजूद हेमंत सोरेन की अगुवाई में झामुमो गठबंधन के हिस्से में बड़ी जीत आई, हेमंत सोरेन ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान हमने महसूस किया था कि सरकार के लिए लोगों के अंदर आक्रोश है, इस आक्रोश और गुस्से को समझा और उसी के आधार पर चुनाव लड़ा. उन्होंने कहा कि रघुबर दास सरकार से पहले दिन से ही लोग नाराज थे, रघुबर सरकार से जनता को यह संदेश मिल गया था कि वह सरकार नहीं चलाएंगे बल्कि झारखंड की सरकार दिल्ली में बैठे आकाओं के जरिए चलाई जाएगी.
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राजनीति में परिवारवाद का अक्सर जिक्र होता है, कई बड़े नेताओं के बेटों के हाथों में सत्ता सौंपी जा चुकी है. हेमंत सोरेन पूर्व केन्द्रीय मंत्री और झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे शिबू सोरेन के पुत्र हैं. ऐसे में उनसे जब परिवारवाद पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस तरह के सवाल तकलीफ देते हैं. सोरेन के अनुसार शेर का बच्चा शेर नहीं तो क्या कुत्ता होगा क्या. इस तरह के सवाल बेहद हास्यापद हैं. उन्होंने कहा कि जूते साफ करने वाले का बेटा जूता साफ करता है तो आपको परिवारवाद नजर नहीं आता है लेकिन जब एक आदिवासी राजनीतिक परिवार सत्ता के करीब जाता है तो आपको परिवार वाद नजर आता है.
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सरकार बनाने के बाद किस काम को प्राथमिकता दी जाएगी, इस सवाल के जवाब में हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए झारखंड के हित के लिए काम किए जाएंगे. फिर वह काम चाहे जंगल के हों, शहर के हो या फिर गांव के. सरकार झारखंड के हित को ध्यान में रखते हुए काम करेगी.
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