पृथिका दरअसल प्रदीप कुमार के रूप में जन्मी थी, और लिंग-परिवर्तन ऑपरेशन से पृथिका बनी
चेन्नई:
चेन्नई की के. पृथिका यशिनी जल्द ही देश की पहली ट्रांसजेंडर पुलिस सब-इंस्पेक्टर बनने जा रही है। मद्रास हाईकोर्ट ने 25-वर्षीय पृथिका को 'योग्य उम्मीदवार' घोषित कर दिया है, जिससे तमिलनाडु सरकार द्वारा उसकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है।
मद्रास हाईकोर्ट ने भर्ती बोर्ड को यह निर्देश भी दिया है कि वह नियमों में बदलाव करे, ताकि राज्य पुलिस बल में ट्रांसजेंडरों की भर्ती की जा सके।
कोर्ट से नियुक्ति की अनुमति पाने वाली पृथिका दरअसल प्रदीप कुमार के रूप में जन्मी थी, और यह कम्प्यूटर एप्लिकेशन्स ग्रेजुएट एक लिंग-परिवर्तन ऑपरेशन के बाद पृथिका बनी, लेकिन उसका सफर काफी मुश्किल रहा है।
पहले खारिज हो गया था पृथिका का आवेदन
उसका आवेदन पहले खारिज कर दिया गया था, क्योंकि पुलिस भर्ती बोर्ड के पास न तो तीसरे लिंग के लिए कोई कैटेगरी थी, और न ही ट्रांसजेंडरों को लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षा और साक्षात्कार में किसी तरह का कोई आरक्षण या छूट दी जाती है।
खैर, पृथिका ने हार नहीं मानी... उसने कई रिट याचिकाएं दाखिल कीं, जिनकी बदौलत परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए रखी गई 28.5 अंकों की सीमा को उसके मामले में घटाकर 25 कर दिया गया। उसने सभी शारीरिक परीक्षाएं भी पास कर लीं, बस, 100 मीटर की तेज़ दौड़ में वह एक सेकंड से पिछड़ गई थी, लेकिन वह स्वीकार कर लिया गया।
आईपीएस ऑफसर बनने का ख्वाब
एक आईपीएस ऑफसर बनने का ख्वाब मन में संजोए बैठी पृथिका का कहना है, "मैं काफी उत्साहित हूं... पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए यह एक नई शुरुआत है..."
उसकी वकील भवानी, जो सरकारी नौकरी पाने की कोशिशें कर रहे अन्य ट्रांसजेंडरों के मामले भी लड़ रही है, ने कहा, "यह आदेश कई ट्रांसजेंडरों के लिए नए अवसरों के रास्ते खोल देगा..."
हालांकि तमिलनाडु सरकार ने ट्रांसजेंडरों के लिए कॉलेजों के दरवाज़े भी खोल दिए हैं, और उनके कल्याण के लिए कई कदम उठाए जाते रहे हैं, लेकिन ट्रांसजेंडरों के लिए सरकारी नौकरियों के अवसर अब तक दूर ही रहे हैं। वैसे, मदुरै में जिला पुलिस ने दिहाड़ी आधार पर होमगार्ड में ट्रांसजेंडरों की भर्तियां की हैं।
मद्रास हाईकोर्ट ने भर्ती बोर्ड को यह निर्देश भी दिया है कि वह नियमों में बदलाव करे, ताकि राज्य पुलिस बल में ट्रांसजेंडरों की भर्ती की जा सके।
कोर्ट से नियुक्ति की अनुमति पाने वाली पृथिका दरअसल प्रदीप कुमार के रूप में जन्मी थी, और यह कम्प्यूटर एप्लिकेशन्स ग्रेजुएट एक लिंग-परिवर्तन ऑपरेशन के बाद पृथिका बनी, लेकिन उसका सफर काफी मुश्किल रहा है।
पहले खारिज हो गया था पृथिका का आवेदन
उसका आवेदन पहले खारिज कर दिया गया था, क्योंकि पुलिस भर्ती बोर्ड के पास न तो तीसरे लिंग के लिए कोई कैटेगरी थी, और न ही ट्रांसजेंडरों को लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षा और साक्षात्कार में किसी तरह का कोई आरक्षण या छूट दी जाती है।
खैर, पृथिका ने हार नहीं मानी... उसने कई रिट याचिकाएं दाखिल कीं, जिनकी बदौलत परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए रखी गई 28.5 अंकों की सीमा को उसके मामले में घटाकर 25 कर दिया गया। उसने सभी शारीरिक परीक्षाएं भी पास कर लीं, बस, 100 मीटर की तेज़ दौड़ में वह एक सेकंड से पिछड़ गई थी, लेकिन वह स्वीकार कर लिया गया।
आईपीएस ऑफसर बनने का ख्वाब
एक आईपीएस ऑफसर बनने का ख्वाब मन में संजोए बैठी पृथिका का कहना है, "मैं काफी उत्साहित हूं... पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए यह एक नई शुरुआत है..."
उसकी वकील भवानी, जो सरकारी नौकरी पाने की कोशिशें कर रहे अन्य ट्रांसजेंडरों के मामले भी लड़ रही है, ने कहा, "यह आदेश कई ट्रांसजेंडरों के लिए नए अवसरों के रास्ते खोल देगा..."
हालांकि तमिलनाडु सरकार ने ट्रांसजेंडरों के लिए कॉलेजों के दरवाज़े भी खोल दिए हैं, और उनके कल्याण के लिए कई कदम उठाए जाते रहे हैं, लेकिन ट्रांसजेंडरों के लिए सरकारी नौकरियों के अवसर अब तक दूर ही रहे हैं। वैसे, मदुरै में जिला पुलिस ने दिहाड़ी आधार पर होमगार्ड में ट्रांसजेंडरों की भर्तियां की हैं।
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