
हाथरस गैंगरेप (Hathras Gangrape) की घटना में पहले तो आरोपियों ने दरिंदगी और हैवानियत दिखाई. बाद में पीड़िता की मौत के बाद यूपी पुलिस का भी अमानवीय चेहरा उजागर हुआ है. चारों तरफ से हंगामे के बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गैंगरेप केस की जांच के लिए तीन सदस्यों वाली एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है. गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता में यह टीम काम करेगी.
इस जांच टीम में दलित और महिला अधिकारियों को भी शामिल किया गया है. गृह सचिव भगवान स्वरूप, डीआईजी चंद्र प्रकाश और सेनानायक पीएसी आगरा पूनम एसआईटी के सदस्य होंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सात दिन में टीम से रिपोर्ट मांगी है. इसके अलावा केस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में लाने के निर्देश भी दिया है. पुलिस ने मामले में सभी चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.
हाथरस जिले के चंदपा थाने के एक गांव में 14 सितंबर को एक दलित युवती के साथ गांव के ही चार युवकों ने गैंगरेप किया. उसके बाद उस पर जानलेवा हमला किया था. पीड़िता की जीभ भी काट दी गई थी ताकि वो आरोपियों के खिलाफ बयान न दे सके. इसके अलावा उसकी शरीर पर कई जगह हड्डियां टूटी हुई थीं. शुरुआत में पीड़िता का अलीगढ़ के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया. नौ दिन बाद होश में आने पर पीड़िताी की बयान दर्ज किया गया लेकिन जब तक उसकी हालत खराब हो चुकी थी.
बाद में हालात खराब होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां मंगलवार की सुबह उसकी मौत हो गई. इसके बाद सफदरजंग अस्पताल के बाहर लोगों ने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया और आरोपियों को फांसी देने की मांग की. पुलिस देर रात शव लेकर मृतक के गांव पहुंची लेकिन परिजनों के विरोध के बावजूद पुलिस ने रात के अंधेरे में करीब 2.30 बजे उसका चुपचाप तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया. आरोप है कि इस दौरान परिजनों को घर में बंद कर दिया गया था.
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