दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) में चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) जारी रखने के मुद्दे पर उस वक्त संकट और गहरा गया, जब आज कुलपति दिनेश सिंह के इस्तीफे की खबरें आई। हालांकि, इस्तीफे की खबर की पुष्टि न होने से असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
डीयू को एफवाईयूपी खत्म कर तीन वर्षीय स्नातक कार्यक्रम फिर से शुरू करने का फरमान जारी करने वाले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से टकराव के बीच यूनिवर्सिटी के मीडिया समन्वयक मलय नीरव ने दोपहर के वक्त मीडियाकर्मियों को एक एसएमएस भेजा जिसमें लिखा था, 'कुलपति ने इस्तीफा दे दिया है।' हालांकि संपर्क किए जाने पर मलय ने कहा, 'मुझे सिर्फ इतना ही बताने के लिए कहा गया था। मेरे पास और जानकारी नहीं है।' कुलपति के वास्तव में इस्तीफा न देने की खबरें आने के बाद से मलय से संपर्क नहीं हो सका है।
इस्तीफे की खबरें फैलने के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस में छात्र और एफवाईयूपी का विरोध करने वाले शिक्षक ढोल-नगाड़े पर झूमे और आपस में मिठाइयां बांटी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि उन्हें कोई इस्तीफा नहीं मिला है। मंत्रालय के अधिकारियों ने यूजीसी अधिकारियों से भी इस बाबत चर्चा जारी रखी कि एफवाईयूपी खत्म करने के यूजीसी के निर्देश के बाद पैदा हुए गतिरोध का हल कैसे निकाला जाए।
समयसीमा कल ही बीत जाने के बावजूद डीयू ने यूजीसी को अब तक यह नहीं बताया है कि तीन वर्षीय स्नातक कार्यक्रम फिर से शुरू करने के उसके आदेश पर क्या कार्रवाई की गई। कल दिल्ली यूनिवर्सिटी प्राचार्य संघ ने आज से शुरू होने वाली दाखिले की प्रक्रिया तब तक के लिए टालने का फैसला किया था जब तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट दिशानिर्देश जारी न कर दिया जाए।
पत्रकार-सामाजिक कार्यकर्ता एवं कुलपति की समर्थक मधु किश्वर ने दिनेश सिंह से मुलाकात के बाद दावा किया कि उन्हें मीडिया को यह बताने के लिए अधिकृत किया गया है कि सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया है। डीयू के प्रति-कुलपति सुधीश पचौरी ने कहा कि कुलपति ने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। कुलपति के वकील ने भी यही बात कही।
कुलपति दिनेश सिंह के वकील ने कहा कि वह यूजीसी के निर्देश को अदालत में चुनौती देंगे, क्योंकि उसके पास किसी यूनिवर्सिटी को 'नियंत्रित' करने का अधिकार नहीं है।
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