हरियाणा सरकार के रवैये से पता चलता है कि बीजेपी को किसानों से घृणा : सुखबीर बादल

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने किसानों के खिलाफ हरियाणा सरकार की कार्रवाई की निंदा की

हरियाणा सरकार के रवैये से पता चलता है कि बीजेपी को किसानों से घृणा : सुखबीर बादल

शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (फाइल फोटो).

चंडीगढ़:

शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir Singh Badal) ने रविवार को हरियाणा (Haryana) में किसानों (Farmers) के खिलाफ बल प्रयोग की निंदा करते हुए इसे बीजेपी (BJP) सरकार का ‘‘अहंकारी और सत्ता के नशे'' में उठाया गया कदम बताया. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार के रवैये से यह पता चलता है कि बीजेपी किसानों से घृणा करती है. 

करनाल जिले के कैमला गांव में मार्च कर रहे किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने पानी की बौछारें की और आंसू गैस के गोले छोड़े. यहां पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर केंद्र के तीनों कृषि कानूनों का ‘‘फायदा'' बताने के लिए आने वाले थे. हालांकि, किसान गांव तक पहुंचने में कामयाब रहे और ‘किसान महापंचायत' के आयोजन स्थल पर तोड़फोड़ की. किसानों ने हेलिपैड को भी नुकसान पहुंचाया जहां मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर उतरने वाला था. मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया.

बादल ने कहा कि खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ ‘‘प्रचंड और नृशंस कदम'' दिखाता है कि केंद्र और राज्य में भाजपा सरकारें किसानों से बहुत नफरत करती हैं.

शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि तीनों कानूनों के कारण पैदा संकट को सुलझाने में उसकी (भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार) कोई ‘‘दिलचस्पी'' नहीं है. बादल ने कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि हरियाणा में सत्तारूढ़ लोगों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बात करने की कोई जरूरत नहीं समझी. इसके बजाए लोकतांत्रिक प्रदर्शन को भड़काने और उसका दमन करने की कोशिश की गई.''

बादल ने कहा कि पानी की बौछारों समेत पुलिसिया ‘दमन' का कदम दिखाता है कि भाजपा किसानों की बदहाली पर किस कदर असंवेदनशील हो चुकी है. उन्होंने शांतिपूर्ण, अनुशासित और लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन के लिए किसानों की सराहना की.

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बादल ने कहा, ‘‘भाजपा की पंजाब इकाई किसानों के जख्म पर नमक छिड़क रही है. किसानों के खिलाफ पार्टी की इस मानसिकता को मैं समझ पाने में असमर्थ हूं. एक तरफ वे किसानों को वार्ता के लिए आमंत्रित करते हैं जबकि दूसरी तरफ वे किसानों को भड़काने का भी काम कर रहे हैं.''