हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव अगर देश के सबसे उबाऊ और नीरस चुनावों में से एक कहे जा रहे हैं. दोनों ही राज्यों में विपक्ष न तो अपनी बात ठीक से रख पा रहा है और न विपक्षी पार्टियों में आपसी एकता दिखाई दे रही है. हरियाणा में जहां बीच चुनाव में ही कांग्रेस से नेताओं का जाने का सिलसिला जारी है तो महाराष्ट्र में भी एनसीपी नेता शरद पवार पारिवारिक झगड़े में उलझे हैं तो कांग्रेस में संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा जैसे नेता बगावत का बिगुल फूंक चुके रहे हैं. जिसका संदेश जा रहा है कि दोनों ही राज्यों में सत्ता में काबिज दल बीजेपी के लिए राह आसान है. हालांकि महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही शिवसेना जरूर कुछ बयान देकर हलचल मचाती दिख रही है और बीजेपी थोड़ा असहज सी हो जा रही है. उधर बीजेपी ने महाराष्ट्र के चुनावी घोषणापत्र में वादा किया है कि अगर पार्टी दोबारा सत्ता में वापस आती है तो वीडी सावरकर को 'भारत रत्न' दिया जाएगा. इस वादे की खास बात यह है कि पीएम मोदी भी अब भाषणों में सावरकर का जिक्र कर रहे हैं. वहीं गृहमंत्री अमित शाह ने वाराणसी में एक कार्यक्रम में कहा कि वीडी सावरकर ने ही 1857 की लड़ाई को स्वतंत्रता संग्राम नाम दिया था.
सवाल इस बात का है चुनाव में वीडी सावरकर को लाने की क्या जरूरत पड़ गई? दरअसल यह बीजेपी की कोशिश है कि दोनों राज्यों में चुनाव 'राष्ट्रवाद' पर निपट जाएं तो उसके लिए अच्छा साबित होगा. अनुच्छेद 370 हटाए जाने का फायदा मिलने की बात पहले से ही कही जा रही है. लेकिन आर्थिक मंदी, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों पर पार्टी घिरी नजर आती है. लेकिन हरियाणा में जहां बड़ी संख्या में लोग सेना में जाते हैं वहां अनुच्छेद 370 का मुद्दा बाकी सारी बातों को पीछे ढकेल देता है. इसके साथ ही बीजेपी को जाट आरक्षण आंदोलन के बाद राज्य में बदले समीकरणों को भी अनुच्छेद 370 से साधना चाहती है.
ऐसा ही कुछ सावरकर को भारत रत्न देने का भी मुद्दा है. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन फडणवीस सरकार झेल चुकी है और राज्य में शरद पवार मराठों के बड़े नेता हैं. अनुच्छेद 370 और वीडी सावरकर के जरिए बीजेपी मराठाओं के बीच राष्ट्रवाद की लहर पैदा करने की कोशिश में है. वहीं कांग्रेस इन दोनों ही बातों पर रुख साफ न करना ही बेहतर समझती है. इसलिए हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं कि अनुच्छेद 370 हटाकर अब नया कानून बन चुका है इसलिए सबको इसका सम्मान करन चाहिए. वहीं वीडी सावकर पर आज पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने (Manmohan Singh) ने कहा कि इंदिरा गांधी ने बतौर प्रधानमंत्री सावरकर (Veer Savarkar) की याद में डाक टिकट जारी किया था. हम सावरकर जी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उस विचारधारा के खिलाफ हैं, जिसके पक्ष में वे (सावरकर) खड़े थे.
5 की बात: सावरकर की चुनावों में क्या जरूरत?
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