केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज अहीर ने कहा है कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो रमज़ान में सीज़फ़ायर के समझौते को तोड़ने के लिए विवश हो जाएंगे. पिछले महीने सरकार ने रमज़ान के पवित्र महीने में सीमा पर सीजफायर का फैसला किया था. हंसराज अहीर ने ये भी कहा कि भारत अभी भी पहले हमला नहीं करने की नीति पर कायम है.
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वहीं मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादियों से बातचीत के लिये आगे आने और राज्य को ‘कत्लेआम’ से बचाने की अपील करते हुए कहा कि एकतरफा संघर्ष विराम और केंद्र की ओर से बातचीत की पेशकश उनके लिये एक मौका है जो हर दिन नहीं मिलता. महबूबा ने अपनी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘एकतरफा संघर्षविराम और फिर बातचीत के लिये तैयार होकर केंद्र ने कश्मीर की आवाम और नेताओं को एक मौका दिया है. अब उन्हें यह फैसला करना ही होगा कि इस मौके का कैसे फायदा उठायें.’
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महबूबा ने कहा कि संघर्ष विराम एवं बातचीत की पेशकश ने अलगाववादियों को जम्मू कश्मीर में कत्लेआम को रोकने का एक मौका दिया है. उन्होंने कहा, ‘ऐसी अन्य पार्टियां भी हैं जो मुख्यधारा में नहीं हैं और अगर उनका कोई और एजेंडा है और वे जम्मू कश्मीर में कत्लेआम को रोकना चाहते हैं तो यह उनके लिये एक मौके की तरह है. हम हमेशा से यही कहते हैं कि जम्मू कश्मीर का राजनीतिक समाधान होना चाहिए और सेना, सीआरपीएफ या पुलिस इन्हें नहीं सुलझा सकती है्.’ उन्होंने कहा, ‘इसे सिर्फ बातचीत के जरिये राजनीतिक रूप से सुलझाया जा सकता है और जब केंद्र की ओर से बातचीत की पेशकश हुई है तो मैं सभी पक्षकारों से अनुरोध करती हूं कि वे जम्मू कश्मीर और उसकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये आगे आयें.’
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केंद्र ने रमजान के पाक महीने में एकतरफा संघर्षविराम की घोषणा की है, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल में कहा कि अगर अलगाववादी बातचीत के इच्छुक हैं तो केंद्र घाटी में उनसे बातचीत के लिये तैयार है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अलगाववादियों पर इसके लिये दबाव नहीं बना सकते , लेकिन उन्हें (अलगाववादियों को) भी कश्मीर के नौजवानों को पत्थर और बंदूक की संस्कृति से बाहर निकालने पर सोचना ही होगा.
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वहीं मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अलगाववादियों से बातचीत के लिये आगे आने और राज्य को ‘कत्लेआम’ से बचाने की अपील करते हुए कहा कि एकतरफा संघर्ष विराम और केंद्र की ओर से बातचीत की पेशकश उनके लिये एक मौका है जो हर दिन नहीं मिलता. महबूबा ने अपनी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘एकतरफा संघर्षविराम और फिर बातचीत के लिये तैयार होकर केंद्र ने कश्मीर की आवाम और नेताओं को एक मौका दिया है. अब उन्हें यह फैसला करना ही होगा कि इस मौके का कैसे फायदा उठायें.’
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महबूबा ने कहा कि संघर्ष विराम एवं बातचीत की पेशकश ने अलगाववादियों को जम्मू कश्मीर में कत्लेआम को रोकने का एक मौका दिया है. उन्होंने कहा, ‘ऐसी अन्य पार्टियां भी हैं जो मुख्यधारा में नहीं हैं और अगर उनका कोई और एजेंडा है और वे जम्मू कश्मीर में कत्लेआम को रोकना चाहते हैं तो यह उनके लिये एक मौके की तरह है. हम हमेशा से यही कहते हैं कि जम्मू कश्मीर का राजनीतिक समाधान होना चाहिए और सेना, सीआरपीएफ या पुलिस इन्हें नहीं सुलझा सकती है्.’ उन्होंने कहा, ‘इसे सिर्फ बातचीत के जरिये राजनीतिक रूप से सुलझाया जा सकता है और जब केंद्र की ओर से बातचीत की पेशकश हुई है तो मैं सभी पक्षकारों से अनुरोध करती हूं कि वे जम्मू कश्मीर और उसकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये आगे आयें.’
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