हाउस अरेस्ट के बाद हाफिज़ सईद (तस्वीर : AFP)
लाहौर:
जमात-उद्-दावा प्रमुख और लश्कर सरगना हाफिज़ सईद को छह महीने के लिए नज़रबंद करने की ख़बर मंगलवार को सुर्खियां बटोर रही हैं. हाफिज़ को हिरासत में लिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें हाफिज़ को यह कहते हुए देखा जा रहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच दोस्ती की वजह से उसे हाउस अरेस्ट किया गया है. उधर ऐसी अटकलें भी हैं कि कार्रवाई पाकिस्तान ने उस चेतावनी के बाद की जिसमें अमेरिका ने कहा कि अगर जमात उद दावा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो वह पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा सकता है.
इनके सबके बीच यह जान लेना भी जरूरी है कि हाफिज़ सईद को नज़रबंद करने की घटना पहली बार नहीं हुई है. इससे पहले भी समय समय पर हाफिज़ सईद को हाउस अरेस्ट किया जा चुका है. 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हमले में सांठ गांठ के आरोप में सईद को पाकिस्तान सरकार ने हिरासत में लिया था और मार्च 2002 में रिहा करने के बाद एक बार फिर 31 अक्टूबर 2002 को लश्कर सरगना को हाउस अरेस्ट कर लिया गया था.
इसी तरह 2006 में मुंबई ट्रेन हमले के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत ने हाफिज़ को नज़रबंद कर लिया था लेकिन कुछ ही दिन बाद लाहौर हाईकोर्ट के आदेश पर रिहा कर दिया गया. इसके बाद एक बार फिर इसी मामले पर सईद को हिरासत में लेकर एक गेस्ट हाउस में बंद रखा गया लेकिन बाद में अदालत के आदेश में छोड़ दिया गया. इसके बाद दिसंबर 2008 में एक बार फिर हाफिज़ सईद को तब नज़रबंद कर लिया गया जब संयुक्त राष्ट्र ने सईद की तथाकथित धार्मिक संस्था जमात उद् दावा को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया. बता दें कि जमात उद् दावा खुद को परोपकारी संगठन बताती है लेकिन उसे प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा का सहोयगी संगठन भी बताया जाता रहा है. इसके बाद भारत की सईद के प्रत्यर्पण की मांग के बाद 2009 में बार बार हाफिज़ को हाउस अरेस्ट करके, कोर्ट के आदेश पर रिहा किया गया.
जहां कईयों के लिए हाफिज़ को नज़रबंद किया जाना ट्रंप का असर है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पाकिस्तान सरकार के सईद के खिलाफ बार बार उठाए जाने वाले इस कदम को अब गंभीरता से नहीं लेते. जैसा कि एक ट्विटर यूज़र ने लिखा है कि हाफिज़ सईद को हाउस अरेस्ट करने का मतलब है अब चिकन बिरयानी उनके घर तक पहुंचाई जाएगी.
वहीं ट्विटर यूज़र गब्बर सिंह के ट्वीट में आशा नज़र आती है जब हाफिज़ के नजरबंद होने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखते हैं 'अमरीका ने 2012 में हाफ़िज़ सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था. ओबामा के पूरे शासनकाल में हाफ़िज़ खुल्ला घूमा. ट्रंप के आने के हफ्ते के भीतर ही हाफ़िज़ को नज़रबंद किया गया है.'
इनके सबके बीच यह जान लेना भी जरूरी है कि हाफिज़ सईद को नज़रबंद करने की घटना पहली बार नहीं हुई है. इससे पहले भी समय समय पर हाफिज़ सईद को हाउस अरेस्ट किया जा चुका है. 13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हमले में सांठ गांठ के आरोप में सईद को पाकिस्तान सरकार ने हिरासत में लिया था और मार्च 2002 में रिहा करने के बाद एक बार फिर 31 अक्टूबर 2002 को लश्कर सरगना को हाउस अरेस्ट कर लिया गया था.
इसी तरह 2006 में मुंबई ट्रेन हमले के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत ने हाफिज़ को नज़रबंद कर लिया था लेकिन कुछ ही दिन बाद लाहौर हाईकोर्ट के आदेश पर रिहा कर दिया गया. इसके बाद एक बार फिर इसी मामले पर सईद को हिरासत में लेकर एक गेस्ट हाउस में बंद रखा गया लेकिन बाद में अदालत के आदेश में छोड़ दिया गया. इसके बाद दिसंबर 2008 में एक बार फिर हाफिज़ सईद को तब नज़रबंद कर लिया गया जब संयुक्त राष्ट्र ने सईद की तथाकथित धार्मिक संस्था जमात उद् दावा को आतंकवादी संगठनों की सूची में शामिल किया. बता दें कि जमात उद् दावा खुद को परोपकारी संगठन बताती है लेकिन उसे प्रतिबंधित लश्कर ए तैयबा का सहोयगी संगठन भी बताया जाता रहा है. इसके बाद भारत की सईद के प्रत्यर्पण की मांग के बाद 2009 में बार बार हाफिज़ को हाउस अरेस्ट करके, कोर्ट के आदेश पर रिहा किया गया.
जहां कईयों के लिए हाफिज़ को नज़रबंद किया जाना ट्रंप का असर है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पाकिस्तान सरकार के सईद के खिलाफ बार बार उठाए जाने वाले इस कदम को अब गंभीरता से नहीं लेते. जैसा कि एक ट्विटर यूज़र ने लिखा है कि हाफिज़ सईद को हाउस अरेस्ट करने का मतलब है अब चिकन बिरयानी उनके घर तक पहुंचाई जाएगी.
Hafiz Saeed house arrest simply means that chicken biryani will be home delivered to him.
— shalya chikitsa (@Velabhai1) January 31, 2017
वहीं ट्विटर यूज़र गब्बर सिंह के ट्वीट में आशा नज़र आती है जब हाफिज़ के नजरबंद होने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखते हैं 'अमरीका ने 2012 में हाफ़िज़ सईद पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा था. ओबामा के पूरे शासनकाल में हाफ़िज़ खुल्ला घूमा. ट्रंप के आने के हफ्ते के भीतर ही हाफ़िज़ को नज़रबंद किया गया है.'
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