गुजरात हाई कोर्ट का फाइल फोटो
अहमदाबाद:
गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 में गोधरा की घटना के बाद हुए दंगों के दौरान मेहसाणा जिले में दो लोगों की हत्या के मामले में 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। न्यायमूर्ति अनंत दवे और न्यायमूर्ति बीएन कारिया की खंडपीठ ने अभियुक्तों को 'छूट के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई' और राज्य सरकार को इजाजत दे दी कि 14 साल की सजा पूरी करने के बाद इन लोगों को रिहा कर दिया जाए।
निचली अदालत ने इन लोगों को बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इन्हें दोषी पाया। हाई कोर्ट ने हर एक अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और समर्पण करने के लिए 10 सप्ताह का समय दिया। पिछले सप्ताह हाई कोर्ट ने इस मामले में 27 आरोपियों में से 11 को दोषी करार दिया था। यह मामला अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति कल्लू मियां सैयद और उनकी बेटी हसीना बीबी की हत्या से जुड़ा है। तीन मार्च, 2002 को इनकी हत्या की गई थी।
अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 148 और 149 (गैर कानूनी ढंग से जमा होना) तथा 436 (आगजनी) के तहत दोषी करार दिया गया। उल्लेखनीय है कि मेहसाणा की त्वरित अदालत ने इस मामले के सभी 27 आरोपियों को 14 जून, 2005 को बरी कर दिया था।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
निचली अदालत ने इन लोगों को बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इन्हें दोषी पाया। हाई कोर्ट ने हर एक अभियुक्त पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और समर्पण करने के लिए 10 सप्ताह का समय दिया। पिछले सप्ताह हाई कोर्ट ने इस मामले में 27 आरोपियों में से 11 को दोषी करार दिया था। यह मामला अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्ति कल्लू मियां सैयद और उनकी बेटी हसीना बीबी की हत्या से जुड़ा है। तीन मार्च, 2002 को इनकी हत्या की गई थी।
अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 148 और 149 (गैर कानूनी ढंग से जमा होना) तथा 436 (आगजनी) के तहत दोषी करार दिया गया। उल्लेखनीय है कि मेहसाणा की त्वरित अदालत ने इस मामले के सभी 27 आरोपियों को 14 जून, 2005 को बरी कर दिया था।
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