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This Article is From Jun 05, 2012

राज्य सरकार ने कारबाइड का कचरा नष्ट करने की मंजूरी नहीं दी : चिदम्बरम

राज्य सरकार ने कारबाइड का कचरा नष्ट करने की मंजूरी नहीं दी : चिदम्बरम
नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम ने कहा है कि भोपाल गैस त्रासदी के बाद से भोपाल में बंद पड़े यूनियन कारबाइड संयंत्र का जहरीला रासायनिक कचरा अब तक इसलिए नष्ट नहीं हो सका, क्योंकि किसी राज्य सरकार ने अपने यहां उसे नष्ट करने की अनुमति नहीं दी।

गैस पीड़ितों के लिए यहां स्थापित भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र (बीएमएचआरसी) का केन्द्रीय मंत्रियों सलमान खुर्शीद एवं वी नारायण सामी के साथ दौरा करने और इन सभी मुद्दों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं संबंधित अधिकारियों से विचार-विमर्श के बाद चिदम्बरम ने कहा, ‘केन्द्र ने गुजरात, मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र सरकारों से इसके लिए पूछा था, लेकिन सभी ने अपने यहां यह कचरा नष्ट करने से इनकार कर दिया।’

उन्होंने कहा कि सबसे पहले इस जहरीले रासायनिक कचरे को गुजरात के अंकलेश्वर, फिर मध्यप्रदेश के पीथमपुर और फिर महाराष्ट्र के तलूजा में नष्ट करने का कार्यक्रम बना, लेकिन सभी सरकारों ने इस पर अमल करने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार इस काम के लिए राजी होगी, तभी इसे अंजाम दिया जा सकता है और इसे लेकर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की जा सकती।

चिदम्बरम ने कहा कि अब इस बारे में एक जर्मन कंपनी से बात चल रही है और इस पर भोपाल गैस त्रासदी पर बना मंत्री समूह जल्द निर्णय ले लेगा। भोपाल गैस त्रासदी पर गठित मंत्री समूह के अध्यक्ष चिदम्बरम ने कहा कि वर्ष 2010 में इसके गठन के बाद से गैस प्रभावितों के लिए बहुत कुछ किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह कहना पूरी तरह गलत होगा कि मंत्री समूह के गठन के बाद से भोपाल के गैस पीड़ितों के लिए कुछ नहीं किया गया।’’ यह सही है कि इसका गठन कुछ सीमित विषयों के लिए किया गया और गैस पीड़ितों के रोजाना के मामले ‘निगरानी समिति’ देखती है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होनें कहा कि मंत्री समूह के पास गैस पीड़ितों को मुआवजा और त्रासदी से संबंधित प्रकरण देखने का काम है। यूनियन कारबाइड कारपोरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष वारेन एण्डरसन के प्रत्यर्पण के बारे पूछने पर उन्होने कहा कि वह इस समय लगभग 90 साल के हैं और बुढ़ापे एवं कमजोरी की विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में देखना होगा कि उनके प्रत्यर्पण को लेकर वास्तव में क्या हो सकता है।

बीएमएचआरसी का जिक्र करते हुए चिदम्बरम ने कहा कि पहले इसे एक न्यास द्वारा संचालित किया जा रहा था, लेकिन अब इसका संचालन केन्द्रीय लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपने हाथ में लिया है। उन्होंने स्वीकार किया कि बीएमएचआरसी में इस समय कई समस्याएं हैं, जिनमें चिकित्सकों और उचित चिकित्सकीय उपकरणों की कमी भी शामिल हैं।

इससे पहले जब तीनों मंत्री बीएमएचआरसी के दौरे पर थे, तो भोपाल गैस पीड़ितों के बीच काम करने वाले संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उन्हें काले झंडे दिखाए। उनका आरोप है कि मंत्री समूह द्वारा गैस पीड़ितों की समस्याओं की अनदेखी की जा रही है।

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