नई दिल्ली:
केंद्र सरकार कोटा से अधिक बिजली लेने वाले राज्यों पर जुर्माना लगाने के साथ ही उन राज्यों के मुख्य सचिवों को सजा देने पर विचार कर रह रही है। पिछले महीने ट्रांसमिशन लाइनें ठप होने की वजह से देश की आधी आबादी को गंभीर बिजली संकट झेलना पड़ा था। इसका प्रमुख कारण कुछ राज्यों द्वारा कोटा से अधिक बिजली लेना बताया गया।
एक टीवी चैनल से बातचीत में बिजली मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि वह ग्रिड से ज्यादा बिजली लेने वाले राज्यों पर भारी जुर्माना लगाने पर विचार कर रहे हैं। मोइली ने कहा कि इसके अलावा सरकार ऐसे प्रावधान पर भी विचार कर रही है, जिसके अंतर्गत ज्यादा बिजली लेने वाले राज्यों के अधिकारियों और मुख्य सचिवों को सजा हो सके।
ग्रिडों के ठप होने के बारे में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मोइली ने कहा कि न केवल ज्यादा बिजली लेने, बल्कि ओवरलोडिंग की वजह से भी ग्रिड फेल हुई। उत्तरी ग्रिड से न केवल ज्यादा बिजली लेने की वजह से, बल्कि पश्चिमी ग्रिड में ओवरलोडिंग की वजह से भी ग्रिड ठप हुई। मोइली ने इसी महीने बिजली मंत्री का प्रभार संभाला है। उन्होंने कहा कि एक तरफ पश्चिमी ग्रिड से ओवरलोडिंग तथा दूसरी तरफ यहां ज्यादा बिजली लेने की वजह से दो दिन लगातार ग्रिड ठप हुई।
मोइली ने कहा कि राज्य स्तर पर एक स्वतंत्र नियामक होना चाहिए, जो राज्यों द्वारा ज्यादा बिजली लेने की निगरानी करे। उन्होंने कहा, हमें कुछ कानून और 2003 के बिजली अधिनियम में कुछ संशोधन करना होगा, जिससे स्थिति को सुधारा जा सके। उत्तरी, पूर्वी तथा पूर्वोत्तर ग्रिड 31 जुलाई को ठप हो गई थी, जिससे 60 करोड़ लोगों को बिजली संकट झेलना पड़ा था। इससे एक दिन पहले उत्तरी ग्रिड ठप हुई थी।
मोइली ने कहा कि अस्पताल, हवाई अड्डों, रेलवे तथा मेट्रो जैसी महत्वपूर्ण और अनिवार्य सेवाओं पर ग्रिड के ठप होने की वजह से असर न पड़े, इसके लिए सरकार अलग व्यवस्था करने पर विचार कर रही है। हालांकि बिजली मंत्री ने साफ किया कि पूरी राजधानी (नई दिल्ली) के लिए अलग व्यवस्था करना संभव नहीं है। यहां तात्पर्य ऐसी सेवाओं के लिए अलग से बिजली पारेषण लाइन से है। ऐसे में गंभीर बिजली संकट की स्थिति में भी इनकी सेवाओं पर असर नहीं होगा। मोइली ने इस बात को माना कि देश में बिजली वितरण व्यवस्था की स्थिति खराब है। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) भारी कर्ज के बोझ से दबी हैं और सरकार उनके ऋण के पुनर्गठन पर काम कर रही है।
एक टीवी चैनल से बातचीत में बिजली मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा कि वह ग्रिड से ज्यादा बिजली लेने वाले राज्यों पर भारी जुर्माना लगाने पर विचार कर रहे हैं। मोइली ने कहा कि इसके अलावा सरकार ऐसे प्रावधान पर भी विचार कर रही है, जिसके अंतर्गत ज्यादा बिजली लेने वाले राज्यों के अधिकारियों और मुख्य सचिवों को सजा हो सके।
ग्रिडों के ठप होने के बारे में विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मोइली ने कहा कि न केवल ज्यादा बिजली लेने, बल्कि ओवरलोडिंग की वजह से भी ग्रिड फेल हुई। उत्तरी ग्रिड से न केवल ज्यादा बिजली लेने की वजह से, बल्कि पश्चिमी ग्रिड में ओवरलोडिंग की वजह से भी ग्रिड ठप हुई। मोइली ने इसी महीने बिजली मंत्री का प्रभार संभाला है। उन्होंने कहा कि एक तरफ पश्चिमी ग्रिड से ओवरलोडिंग तथा दूसरी तरफ यहां ज्यादा बिजली लेने की वजह से दो दिन लगातार ग्रिड ठप हुई।
मोइली ने कहा कि राज्य स्तर पर एक स्वतंत्र नियामक होना चाहिए, जो राज्यों द्वारा ज्यादा बिजली लेने की निगरानी करे। उन्होंने कहा, हमें कुछ कानून और 2003 के बिजली अधिनियम में कुछ संशोधन करना होगा, जिससे स्थिति को सुधारा जा सके। उत्तरी, पूर्वी तथा पूर्वोत्तर ग्रिड 31 जुलाई को ठप हो गई थी, जिससे 60 करोड़ लोगों को बिजली संकट झेलना पड़ा था। इससे एक दिन पहले उत्तरी ग्रिड ठप हुई थी।
मोइली ने कहा कि अस्पताल, हवाई अड्डों, रेलवे तथा मेट्रो जैसी महत्वपूर्ण और अनिवार्य सेवाओं पर ग्रिड के ठप होने की वजह से असर न पड़े, इसके लिए सरकार अलग व्यवस्था करने पर विचार कर रही है। हालांकि बिजली मंत्री ने साफ किया कि पूरी राजधानी (नई दिल्ली) के लिए अलग व्यवस्था करना संभव नहीं है। यहां तात्पर्य ऐसी सेवाओं के लिए अलग से बिजली पारेषण लाइन से है। ऐसे में गंभीर बिजली संकट की स्थिति में भी इनकी सेवाओं पर असर नहीं होगा। मोइली ने इस बात को माना कि देश में बिजली वितरण व्यवस्था की स्थिति खराब है। उन्होंने कहा कि बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) भारी कर्ज के बोझ से दबी हैं और सरकार उनके ऋण के पुनर्गठन पर काम कर रही है।
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