टूलकिट केस : क्यों गिरफ्तार एक्टिविस्ट दिशा रवि को कोर्ट में खुद रखना पड़ा अपना पक्ष

रविवार को दिशा रविवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था, जहां उन्हें खुद अपना पक्ष रखना पड़ा था क्योंकि उनके पास उस वक्त अपना कोई लीगल काउंसल नहीं था. इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं.

टूलकिट केस : क्यों गिरफ्तार एक्टिविस्ट दिशा रवि को कोर्ट में खुद रखना पड़ा अपना पक्ष

बेंगलुरु से गिरफ्तार दिशा रवि को कल पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था.

नई दिल्ली:

क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग की ओर से किसान आंदोलन से जुड़ा एक टूलकिट ट्वीट किए जाने के बाद दिल्ली पुलिस की ओर से दर्ज 'टूलकिट' केस में बेंगलुरु की 22 साल की क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि की गिरफ्तारी पर ही विरोध नहीं हो रहा है, बल्कि कानूनी प्रक्रियाओं को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं. 

दिशा रवि को जब रविवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया था तो उनके पास कोई लीगल काउंसल नहीं था. कोर्ट ने उन्हें पांच दिन की पुलिस रिमांड में भेजा गया है. दिशा को शनिवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बेंगलुरु के उनके घर से गिरफ्तार किया था और दिल्ली ले आई थी. उनपर देशद्रोह और साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं.

क्या सवाल उठ रहे हैं?

दिशा रवि की लीगल टीम के मुताबिक, उनके वकीलों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उन्हें किस कोर्ट में पेश किया जाएगा, ऐसे में दिशा ने कोर्ट में खुद अपना केस रखा. इस बात पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब दिल्ली पुलिस उन्हें बेंगलुरु से दिल्ली लेकर आई तो जरूरी नियमों का पालन किया गया था या नहीं.

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एक पोस्ट में, वकील रेबेका जॉन ने आरोप लगाया है कि इस मामले में 'न्यायिक कर्तव्यों को आश्चर्यजनक रूप से दरकिनार' किया गया है. उनके मुताबिक, पटियाला हाउस कोर्ट के मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करने में असफल रहे कि दिशा रवि के पास कोर्ट में कानूनी प्रतिनिधित्व हो. उन्होंने पोस्ट में लिखा, 'ड्यूटी मजिस्ट्रेट के आचरण से बहुत निराशा हुई है, जिन्होंने एक युवा महिला को पांच दिन के पुलिस रिमांड में भेज दिया, यह सुनिश्चित किए बिना कि उसे कानूनी काउंसल की ओर से पेश किया जा रहा हो.'

जॉन ने लिखा कि 'मजिस्ट्रेट्स को रिमांड को लेकर अपने कर्तव्यों को गंभीरता से लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संविधान के आर्टिकल 22 का पूरी तरह से पालन न हो.' उन्होंने लिखा कि अगर उस वक्त आरोपी के पास अपना कोई कानूनी प्रतिनिधि नहीं था, तो मजिस्ट्रेट को उसके काउंसल के आने का इंतजार करना चाहिए था या फिर इसके विकल्प में उसे कानूनी प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए था.

उन्होंने कुछ और सवाल भी उठाए, जैसे 'केस की डायरी और अरेस्ट मेमो का परीक्षण कहां हुआ था? क्या मजिस्ट्रेट ने स्पेशल सेल से यह पूछा कि आरोपी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किए जाने के बाद, बेंगलुरु की कोर्ट्स से बिना कोई ट्रांजिट रिमांड लिए बिना कैसे दिल्ली की कोर्ट में कैसे पेश कर दिया गया?'

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टूलकिट केस में हुई है पहली गिरफ्तारी?

बता दें कि दिशा रवि की टूलकिट मामले में पहली गिरफ्तारी है. वो माउंट कार्मेल कॉलेज की ग्रेजुएट हैं. पुलिस का कहना है कि यह टूलकिट एक खालिस्तानी संगठन की ओर से तैयार किया गया है. कल पुलिस ने आरोप लगाया कि इस मामले में दिशा रवि मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं और उन्होंने टूलकिट तैयार करवाने और फिर इस डॉक्यूमेंट को फैलाने में अहम भूमिका निभाई. पुलिस का कहना है कि इनकी एक खालिस्तानी संगठन को भारत में दोबारा शुरू किए जाने की कोशिश थी.  

दिशा ने कोर्ट में कहा है कि 'मैंने टूलकिट नहीं बनाया है. हम किसानों को समर्थन देना चाहते थे. मैंने 3 फरवरी को इसमें दो लाइनों को एडिट किया था बस.'

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पुलिस का कहना है कि दिशा ने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर, इस टूलकिट को बनाने में सहयोग दिया था. पुलिस ने ट्वीट कर कहा, 'इस प्रक्रिया में, इन सभी ने भारत सरकार के खिलाफ असंतोष फैलाने के लिए खालिस्तानी संगठन पोयटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ सहयोग किया था.'