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This Article is From Aug 25, 2013

नौकरियों में आरक्षण के लिए निजी क्षेत्र से लगातार बातचीत कर रही है सरकार

नई दिल्ली: सरकारी नौकरियों के अवसर कम होने और निजी क्षेत्र का दायरा बढ़ने की बात को स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने शनिवार को कहा कि वह निजी क्षेत्र में नौकरियों में आरक्षण के लिए लगातार बातचीत कर रही है।

सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री कुमारी सैलजा ने लोकसभा में ‘संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक 2012’ पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया।

उन्होंने विधेयक पर चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों की इस चिंता से सहमति जताई कि निजी क्षेत्र में नौकरियों में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं होने से गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

सैलजा ने बताया कि निजी सेक्टर को इस संबंध में कई बार चिट्ठियां लिखी गई हैं और सरकार चाहती है कि निजी क्षेत्र किसी न किसी तरह से खुद इस बात को महसूस करे कि यह कितना गंभीर मुद्दा है।

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया तो इसके काफी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

बसपा के दारासिंह चौहान द्वारा इस संबंध में कड़े कदम उठाए जाने की मांग किए जाने पर सैलजा ने कहा कि सरकार चाहती है कि कड़े कदम नहीं उठाने पड़ें और अच्छा होगा कि निजी क्षेत्र आराम से इस बात को मान जाए।

इससे पहले चर्चा की शुरुआत करते हुए भाजपा के वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि कौन अनुसूचित जाति का है और कौन नहीं, इस मुद्दे के समाधान के लिए एक नीति बनानी चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका में भी इस जाति के लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान किए जाने की अपील की। कांग्रेस के पीएल पूनिया ने कहा कि निजी क्षेत्र में नौकरियों के अधिक अवसर हैं और इसीलिए अनुसूचित जातियों को इस क्षेत्र में आरक्षण मिलना चाहिए।

इस विधेयक को सामाजिक न्याय मंत्री कुमारी सैलजा ने 5 अगस्त को पेश किया था।

सपा के शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि एससी या एसटी को सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ही वे लोग एससी से एसटी या एसटी से एससी में जाने की मांग करते हैं।

बसपा के बलिराम ने निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन की जरूरत बताई।

जनता दल यू के भूदेव चौधरी ने कहा कि एससी और एसटी के 80 फीसदी बच्चे अभी भी कुपोषण का शिकार हैं जिसकी वजह से वे विकलांगता और बीमारी से ग्रसित रहते हैं।

तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और माकपा के मोहन मलिक ने भी निजी क्षेत्र में आरक्षण की जरूरत बताई। बीजद के मोहन जेना ने कहा कि परंपरागत उद्योग लुप्त हो रहे हैं और इसके चलते अनु जाति और जनजाति के लोगों को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

भाकपा के प्रबोध पांडा, नेशनल कांफ्रेंस के एसडी शरीक, आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन के असदुद्दीन औवेसी, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के अजय कुमार, राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह, रालोद के संजय सिंह चौहान, भाजपा के वीरेन्द्र कुमार तथा कांग्रेस के आर ध्रुवनारायण ने भी चर्चा में हिस्सा लिया।

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