यह ख़बर 22 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

चार साल के स्नातक कोर्स पर डीयू और सरकार के बीच तकरार

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज की तस्वीर

नई दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय ने अब साफ कर दिया है कि वह अपने चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम को बंद नहीं करेगा, लेकिन 20 जून को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने दिल्ली विश्वविद्यालय को पत्र लिखकर कहा था कि वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन करे।

दूसरे शब्दों में कहें तो यूजीसी ने विश्वविद्यालय से चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम को खत्म करने के लिए कहा था। इस पत्र के बाद भी दिल्ली विश्वविद्यालय चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को चलाए रखने पर कायम है, लेकिन उसके तेवर में थोड़ी नरमी भी आई है।  

तीन साल में स्नातक और पांच साल में एमए

दरअसल यूजीसी का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानि 10 प्लस 2 प्लस 3 के नियमों का उल्लघंन कर रहा है। लेकिन शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल की बैठक हुई जिसमें यूजीसी की इस चिट्ठी पर भी चर्चा हुई।

उसके बाद डीयू ने यह फैसला किया है कि छात्रों के सामने चार साल के स्नातक ऑनर्स की डिग्री एक विकल्प के रूप में होगी। यानि अगर कोई छात्र तीन साल में ही स्नातक की डिग्री लेना चाहेगा तो उसे स्नातक की डिग्री मिलेगी। साथ ही अगर कोई छात्र एक साल और पढ़कर यानि चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को पूरा करता है तो उसे स्नातक ऑनर्स की डिग्री मिलेगी।

विश्वविद्यालय ने एक कमेटी बनाकर ये भी सुनिश्चित करने का फैसला किया है कि पांच साल के भीतर ही छात्रों को ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री मिले।

चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पर दो साल बाद क्यों जागा यूजीसी

2012 में जब दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर दिनेश सिंह ने चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम को लागू किया तो बड़ा हो हल्ला मचा। खासतौर पर छात्र संगठन और शिक्षक संघ ने इसका कड़ा विरोध किया। तर्क ये दिया गया कि जब देश के 70 फीसदी विश्वविद्यालय तीन साल में ही ग्रेजुएट की डिग्री दे रहे हैं तो दिल्ली विश्वविद्यालय चार साल में स्नातक आनर्स की डिग्री क्यों दे रहे हैं।

ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति यानि तीन साल में ग्रेजुएट और दो साल में पोस्ट ग्रेजुएट पूरा करने के नियम का उल्लंघन है। लेकिन सवाल ये उठता है कि यूजीसी चार साल के स्नातक पाठ्यक्रम पर दो साल बाद क्यों जागा है।

सूत्रों का कहना है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मुद्दे पर सीधे तौर पर डीयू से टकराव नहीं लेना चाहता है, इसी के चलते उसने यूजीसी को कहा कि वो इस बात को सुनिश्चत करें कि सभी विश्वविद्यालय राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन करे।

इसी का हवाला देते हुए यूजीसी ने डीयू को लंबा चौड़ा पत्र लिख दिया। लेकिन अब ये साफ हो गया है कि तीन साल में स्नातक की डिग्री या चार साल में स्नातक आनर्स की डिग्री का विकल्प छात्रों के पास रहेगा।

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साथ ही विश्वविद्यालय ये भी सुनिश्चित करेगी कि पांच साल में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री छात्रों को मिले। अब उम्मीद करते हैं कि इस बार दाखिला लेने वाले छात्रों के बीच असमंजस की स्थिति नहीं रहेगी।