 
                                            गोविंदाचार्य (फाइल फोटो).
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                नई दिल्ली: 
                                        जाने माने चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने नोटबंदी मामले में पीड़ित लोगों के लिए केंद्र सरकार से मुआवजे की मांग की और कानूनी नोटिस जारी करके सरकार के आकस्मिक निर्णय से देश की आम जनता के समक्ष उत्पन्न संकट के विषय को उठाया है.
गोविंदाचार्य ने अपने बयान में कहा कि वकील विराग गुप्ता के माध्यम से केंद्र सरकार में आर्थिक मामलों के सचिव तथा रिजर्व बैंक के गवर्नर को यह कानूनी नोटिस भेजा गया है.
गोविंदाचार्य ने अपने कानूनी नोटिस में दावा किया है कि सरकार द्वारा बाद में नोटबंदी के बारे में कुछ छूट के लिए अधिसूचना जारी की गई जिसका सरकार को कोई कानूनी अधिकार नहीं है. नोटिस के अनुसार सरकार द्वारा मनमर्जी से नोटों के इस्तेमाल की छूट संविधान के अनुच्छेद-14 एवं समानता के अधिकार के विरुद्ध है.
नोटिस के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आम जनता को जीने का अधिकार है परंतु सरकार के आकस्मिक निर्णय से देश की आम जनता घोर संकट में आ गई है. केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय से जो लोग आकस्मिक मौत का शिकार हो रहे हैं उनके लिए भी मुआवजा दिया जाना चाहिए.
सरकार से मांग की गई है कि आम जनता के खिलाफ सख्ती करने से पहले कालाधन के बड़े खिलाड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने सरकारी बैंकों का पैसा हजम कर लिया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                गोविंदाचार्य ने अपने बयान में कहा कि वकील विराग गुप्ता के माध्यम से केंद्र सरकार में आर्थिक मामलों के सचिव तथा रिजर्व बैंक के गवर्नर को यह कानूनी नोटिस भेजा गया है.
गोविंदाचार्य ने अपने कानूनी नोटिस में दावा किया है कि सरकार द्वारा बाद में नोटबंदी के बारे में कुछ छूट के लिए अधिसूचना जारी की गई जिसका सरकार को कोई कानूनी अधिकार नहीं है. नोटिस के अनुसार सरकार द्वारा मनमर्जी से नोटों के इस्तेमाल की छूट संविधान के अनुच्छेद-14 एवं समानता के अधिकार के विरुद्ध है.
नोटिस के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आम जनता को जीने का अधिकार है परंतु सरकार के आकस्मिक निर्णय से देश की आम जनता घोर संकट में आ गई है. केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के निर्णय से जो लोग आकस्मिक मौत का शिकार हो रहे हैं उनके लिए भी मुआवजा दिया जाना चाहिए.
सरकार से मांग की गई है कि आम जनता के खिलाफ सख्ती करने से पहले कालाधन के बड़े खिलाड़ियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने सरकारी बैंकों का पैसा हजम कर लिया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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