विज्ञापन
This Article is From Aug 30, 2016

ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से पहले मोदी सरकार का बड़ा ऐलान, दो साल से अटका बोनस इसी साल दिया जाएगा

ट्रेड यूनियनों की हड़ताल से पहले मोदी सरकार का बड़ा ऐलान, दो साल से अटका बोनस इसी साल दिया जाएगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: देश की कई ट्रेड यूनियनों द्वारा 2 सितंबर (शुक्रवार) को देशव्यापी हड़ताल के ऐलान के बाद नरेंद्र मोदी सरकार हरकत में आई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सोमवार शाम की एक इमरजेंसी मीटिंग बुलाई थी. पीएम मोदी के साथ इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय शामिल थे.

केंद्र सरकार के करीब 33 लाख कर्मचारियों के लिए सरकार ने मंगलवार को सालाना बोनस की घोषणा की, जो पिछले दो सालों से बकाया था। इस बारे में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा, "केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 2014-15 और 2015-16 का बोनस संशोधित मानदंडों के आधार पर जारी किया जाएगा। यह दो सालों से बकाया था। इसके बाद बोनस को सातवें वेतन आयोग के तहत दिया जाएगा."

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने सलाहकार बोर्ड की सिफारिश स्वीकार कर ली है. उन्होंने बताया कि गैर-कृषि कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन 350 रुपये प्रतिदिन तय किया गया जो इस समय 246 रुपये प्रतिदिन है. वहीं, लेफ्ट ने सरकार के न्यूनतम वेतन के बढ़ाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. सीटू का कहना है कि 18000 रुपये न्यूनतम वेतन होना चाहिए.

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि वह ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों से बात करने को तैयार है. ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को प्रस्तावित अपनी हड़ताल रद्द करने से इनकार कर दिया है.

ट्रेड यूनियनों ने चेतावनी दी है कि शुक्रवार को देशभर में बैंक, सरकारी कार्यालय और कारखाने बंद रहेंगे. हालांकि रेलवे कर्मचारियों ने अभी यह संकेत नहीं दिया है कि वे इस हड़ताल में शामिल होंगे. इसका मतलब है कि रेल सेवाओं पर असर पड़ने की संभावना नहीं है.

ट्रेड यूनियनें पिछले साल सितंबर से सरकार पर अपनी 12-सूत्रीय मांगों को माने जाने का दबाव डाल रही हैं. इनमें न्यूनतम वेतन को बढ़ाने की मांग भी शामिल है. वे सरकार के विनिवेश के हालिया निर्णय - खासकर फार्मा, रक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश की शर्तों में ढील दिए जाने का भी विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे राष्ट्रीय हितों से समझौता हो सकता है.

हड़ताल और कामगारों के हितों की सुरक्षा नहीं करने का आरोप ऐसे वक्‍त सामने आए हैं जब सरकार अर्थव्‍यवस्‍था में नई जान फूंकने के लिए कई बड़े सुधार कर रही है, और उस धारणा को भी बदलने की कोशिश में है जिसके अनुसार कहा जा रहा है कि सरकार केवल बड़े व्यापारियों का ही हित देख रही है.
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com