
पाकिस्तान राष्ट्रीय दिवस के मौक़े पर भारत सरकार के विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने शिरकत की। यह जलसा हुर्रियत नेताओं के शामिल होने की वजह से सुर्ख़ियों में है। गौरतलब है कि सैयद अली शाह गिलानी समेत तमाम बड़े हुर्रियत नेता हर साल इस जलसे में शामिल होते रहे हैं। पिछले साल बतौर मंत्री राजीव शुक्ला शामिल हुए थे। वहीं बतौर विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल भी पाक डे पर शिरकत कर चुके हैं। लेकिन इसमें इस साल मोदी सरकार के किसी मंत्री का शामिल होना अलग अहमियत रखता है।
वीके सिंह जलसे में क़रीब 10 मिनट ही रुके। भारत और फिर पाकिस्तान के राष्ट्रीय धुन के बाद वह तुरंत निकल गए। इससे पहले उनकी मौजूदगी में पाक उच्चायुक्त ने अपने संक्षिप्त संबोधन में दोनों देशों के बीच के मसलों को शांतिपूर्ण तरीक़े और बातचीत के ज़रिये हल करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि हमें देखना होगा कि आगे की पीढ़ियों के लिए हम क्या छोड़ जाते हैं। वीके सिंह ने इस मौक़े पर कोई बात नहीं की।
ऐसा नहीं है कि कोई मंत्री पहली बार आया हो। चलन यह है कि हर बार भारत सरकार की तरफ़ से बतौर एक मंत्री का नाम तय किया जाता, जो पाक उच्चायोग में मुख्य अतिथि के तौर पर निमंत्रित होता है। यूपीए सरकार में मंत्री रहने वाले मणिशंकर अय्यर ज़रूर इसमें शिरकत करते रहे हैं, लेकिन इसके पीछे पाकिस्तान को लेकर उनका दोस्ती भरा रवैया कारण रहा है।
पाकिस्तान दिवस के मौक़े पर विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के राजनयिक शामिल होते रहे हैं। इस बार भी ज्वाइंट सेक्रेटरी युद्धेंद्र टंडन शामिल हुए। पाक उच्चायोग के मुताबिक़, इस बार भारतीय सेना, नौसेना या एयर फ़ोर्स का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ। अमूमन कैप्टन स्तर का कोई न कोई अधिकारी शामिल होता रहा है।
हुर्रियत नेताओं से पाक उच्चायुक्त के मुलाक़ात के बाद नाराज़ भारत ने पिछले साल विदेश सचिव स्तर की बातचीत रोक दी थी। लेकिन इस साल विदेश सचिव को सार्क यात्रा पर भेजा गया जिसके दरम्यान उन्होंने इस्लामाबाद की यात्रा भी की। वीके सिंह की शिरकत महज़ एक कूटनीति क़दम है या फिर मोदी सरकार की तरफ़ से पाकिस्तान के साथ बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए बेहतर माहौल बनाने की कोशिश ये जानने के लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा।
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