मुंबई:
गुवाहाटी के 21 वर्षीय एक छात्र का मानना है कि वह लड़की है और उसने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका देकर मांग की है कि लिंग बदलाव के लिए होने वाले ऑपरेशन में उसके माता-पिता को दखल देने से रोका जाए।
बिधान बरुआ खुद को स्वाति कहलाना चाहता है और उसने आरोप लगाया कि उसके अभिभावकों ने 17 अप्रैल को सैफई अस्पताल में होने वाले प्रस्तावित लिंग बदलाव सर्जरी को रुकवा दिया था। उसने दावा किया कि उसके अभिभावकों ने चिकित्सकों को धमकी दी जिन्होंने उच्च न्यायालय की अनुमति के बगैर ऑपरेशन करने से मना कर दिया।
बरुआ ने अपने आवेदन में कहा है कि वह महिला है जिसका शरीर पुरुष का है और वह भारतीय वायु सेना के एक फ्लाईट लेफ्टिनेंट से शादी करना चाहता है।
याचिका को बरुआ के वकील एजाज नकवी ने पेश किया और उन्होंने मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि उसके अभिभावकों ने उसके बैंक अकाउंट को जब्त कर दिया है और उसके मूलभूत अधिकारों का हनन कर रहे हैं।
उसके वकील ने कहा कि वयस्क होने के नाते याचिकाकर्ता लिंग बदलाव ऑपरेशन जैसे निर्णय करने में सक्षम है।
मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति एनएम नामदार की पीठ ने मामले को न्यायमूर्ति एसएफ वाजीफदार और एआर जोशी की पीठ को भेज दिया जो मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को करेंगे।
बरुआ ने अपनी याचिका में कहा है कि उसे महसूस होता है कि उसका गलत लिंग में जन्म हो गया और वह लड़कियों की तरह कपड़े पहनना पसंद करता है। इससे उसके माता-पिता क्रुद्ध हो गए और उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगे।
बिधान बरुआ खुद को स्वाति कहलाना चाहता है और उसने आरोप लगाया कि उसके अभिभावकों ने 17 अप्रैल को सैफई अस्पताल में होने वाले प्रस्तावित लिंग बदलाव सर्जरी को रुकवा दिया था। उसने दावा किया कि उसके अभिभावकों ने चिकित्सकों को धमकी दी जिन्होंने उच्च न्यायालय की अनुमति के बगैर ऑपरेशन करने से मना कर दिया।
बरुआ ने अपने आवेदन में कहा है कि वह महिला है जिसका शरीर पुरुष का है और वह भारतीय वायु सेना के एक फ्लाईट लेफ्टिनेंट से शादी करना चाहता है।
याचिका को बरुआ के वकील एजाज नकवी ने पेश किया और उन्होंने मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि उसके अभिभावकों ने उसके बैंक अकाउंट को जब्त कर दिया है और उसके मूलभूत अधिकारों का हनन कर रहे हैं।
उसके वकील ने कहा कि वयस्क होने के नाते याचिकाकर्ता लिंग बदलाव ऑपरेशन जैसे निर्णय करने में सक्षम है।
मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह और न्यायमूर्ति एनएम नामदार की पीठ ने मामले को न्यायमूर्ति एसएफ वाजीफदार और एआर जोशी की पीठ को भेज दिया जो मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को करेंगे।
बरुआ ने अपनी याचिका में कहा है कि उसे महसूस होता है कि उसका गलत लिंग में जन्म हो गया और वह लड़कियों की तरह कपड़े पहनना पसंद करता है। इससे उसके माता-पिता क्रुद्ध हो गए और उसके साथ दुर्व्यवहार करने लगे।
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