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This Article is From Aug 31, 2012

गवली को उम्रकैद, पीड़िता ने कहा न्याय हुआ

मुंबई: मुम्बई की एक विशेष अदालत ने अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली और 11 अन्य को वर्ष 2007 में शिवसेना के पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की हत्या के मामले में शुक्रवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने गवली पर सात लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

पार्षद की विधवा कोमल ने अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त किया तो गवली की बेटी गीता ने कहा कि उसके पिता के साथ न्याय नहीं हुआ है।

महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की विशेष अदालत के न्यायाधीश पृथ्वीराज चव्हाण ने गवली तथा अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने पिछले शुक्रवार को इस मामले में उन्हें दोषी ठहराया था। न्यायाधीश ने गवली पर सात लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

जन अभियोजक राजा ठाकरे ने गवली एवं अन्य तीन लोगों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए कहा कि इन्होंने सोचसमझ कर हत्या की थी।

सफेद कपड़े पहने और गांधी टोपी लगाए गवली उस वक्त अदालत में ही मौजूद था जब उसे सजा सुनाई गई। उसने चुपचाप अदालत का आदेश सुना। उसके चेहरे पर व्यंग्यात्मक मुस्कान थी। वह वर्ष 2008 से ही जेल में बंद है।

जमसांदेकर की हत्या उत्तर-पूर्वी मुम्बई के घाटकोपर इलाके के असालफा क्षेत्र में भूमि विवाद के सिलसिले में उनके घर के बाहर कर दी गई थी।

अंडरवर्ल्ड से राजनीति में कदम रखने वाले गवली को पहली बार इस मामले में सजा सुनाई गई है। वह वर्ष 2004 से 2009 तक निर्वाचित विधायक था।

अदालत के फैसले पर खुशी जताते हुए जमसांदेकर की विधवा कोमल ने कहा, "अंतत: न्याय हुआ।"

उधर, गवली के बेटी गीता ने कहा कि उसके पिता के साथ न्याय नहीं हुआ है वह इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेगी।

विशेष अदालत ने इस मामले में सबूतों के अभाव में तीन लोगों को बरी कर दिया।

लगभग चार दशकों तक कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ चूहा और बिल्ली का खेले खेलने वाले गवली को आखिरकार उसके गुनाहों की सजा मिल ही गई। यह पहली बार हैं, जब गवली को सजा हुई है। हालांकि पूर्व में वह हत्या, जबरन वसूली और अपहरण जैसे विभिन्न अपराधों को लेकर कई बार गिरफ्तार किया जा चुका था।

वर्ष 2008 में उसे जमसांदेकर हत्या मामले में अपने दर्जन भर साथियों के साथ गिरफ्तार किया गया।

वर्ष 2009 में गवली ने जेल में रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन इस बार उसे मुंह की खानी पड़ी। उसकी पार्टी अखिल भारतीय सेना (एबीएस) के सभी अन्य 20 उम्मीदवारों को भी हार का सामना करना पड़ा।

गवली एबीएस का अध्यक्ष है। एबीएस का गठन मुठभेड़ की नीति का विरोध करने के लिए किया गया था, जिसे तत्कालीन शिव सेना-भाजपा सरकार के दौरान गृहमंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे ने बढ़ावा दिया था।

वैसे गवली की बेटी गीता नगर निगम पार्षद है और अपनी मां आशा के साथ मिलकर एबीएस के क्रियाकलापों को देखती है।

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